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हिमाचल बाढ़ पीड़ित की दर्द भरी कहानी











इलाके में लोगों की खोज के लिए बचावकर्मियों ने ड्रोन तैनात किए हैं. 


शिमला:

हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटना गहरे जख्म दे गई है. किसी ने अपना परिवार खोया दिया है, तो किसी ने अपना पूरा गांव ही खो दिया. ये दर्द भरी दास्तां शिमला जिला के रामपुर के समेज की हैं. एनडीटीवी संवाददाता वीडी शर्मा समेज गांव पहुंचे. जहां पर उन्होंने स्थानीय लोग से बातचीत की. इस दौरान रामपुर समेज की अनिता देवी ने बताया कि सिर्फ पूरे गांव में मेरा घर ही बचा है. बाकी सब कुछ मेरे सामने बह गया. फुट- फुटकर रोते हुए अनिता ने बताया कि बुधवार की रात को मैं अपने परिवार के साथ सो रही थी. धमका सा हुआ और पूरा घर हिल गया.  कुछ लोग भाग कर हमारे घर आए बाहर देखा तो पूरा गांव बह गया था. हम घर छोड़कर गांव के भगवती काली माता मंदिर चले गए और पूरी रात वहां बिताई.

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समेज गांव के बुजुर्ग बक्शी राम ने आंसू भरी आंखों से कहा कि मेरे परिवार के 14 से 15 सदस्य बाढ़ में बह गए. देर रात 2 बजे घटना की जानकारी मिली. समेज में बाढ़ आई में रामपुर में था.  इसलिए बच गया. सुबह 4 बजे जब यंहा पहुंचा तो सब कुछ खत्म था. अब अपनों को तलाश रहा हूं.

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जारी है राहत बचाव कार्य

रामपुर के समेज में राहत बचाव कार्य अभी भी जारी है. भारतीय सेना समेज ने यहां एक अस्थायी पुल का निर्माण किया है.  CISF हेड कांस्टेबल राजेश कुमार ने बताया, “दो दिन पहले यहां हुई त्रासदी के बाद हम घरों में फंसे सामान को निकाल रहे हैं. अभी तक यहां कोई हताहत नहीं हुआ है.”

बता दें बुधवार रात राज्य के तीन जिलों- कुल्लू, मंडी और शिमला में बादल फट गया था. जिसके बाद अचानक से बाढ़ आ गई. इस हादसे में अभी तक 8 लोगों की मौत हुई है. जबकि इन तीन जिलों में बादल फटने से आई बाढ़ के बाद से 49 लोगों  लापता हैं.  इनकी खोज के लिए बचावकर्मियों ने ड्रोन तैनात किए हैं. 







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