Sports

सीलिंग को लेकर गठित सुप्रीम कोर्ट की कमेटी को इनकम टैक्स नोटिस! SC ने अफसर को किया तलब




नई दिल्ली:

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट उस समय हैरान हो गया जब पीठ को बताया गया कि आयकर विभाग ने दिल्ली में अवैध निर्माण को लेकर गठित मॉनिटरिंग कमेटी को ही नोटिस जारी कर दिया है. आयकर विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में जमा कराई जाने वाली रकम पर ही आयकर की मांग कर दी है. इससे नाराज सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग को नोटिस जारी कर दिया है. साथ ही नोटिस भेजने का फैसला लेने वाले संबंधित अधिकारी को कोर्ट में पेश होने को कहा है. 

सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल को भेजे गए आयकर नोटिस पर आपत्ति जताई. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील और एमिक्स क्यूरी  गुरु कृष्ण कुमार ने पीठ को बताया कि आयकर विभाग ने तीन बार नोटिस भेजा है. कमेटी द्वारा विभाग को सूचित किए जाने के बावजूद कि उसे आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करना चाहिए क्योंकि एकत्रित धन सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को भेजा जाता है, नोटिस भेजा गया. उन्होंने निगरानी समिति की 188वीं रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें पैनल ने इस मुद्दे को उठाया और आयकर विभाग से आ रही समस्या को उठाया.

समिति ने न्यायालय को बताया कि स्थायी डी-सीलिंग प्रसंस्करण शुल्क के रूप में उसे ब्याज सहित कुल 23.10 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं और यह राशि समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को हस्तांतरित की गई है. आठ अगस्त तक कुल शेष राशि 48,863 रुपये है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निगरानी समिति द्वारा प्रसंस्करण शुल्क के रूप में एकत्रित की गई राशि अब से एक सितंबर से शुरू होने वाले तिमाही आधार पर सुप्रीम कोर्ट को हस्तांतरित की जाएगी. 

जवाब देने के बावजूद नोटिस का निपटारा नहीं हुआ

कुमार ने न्यायालय को बताया कि आयकर विभाग ने आयकर की धारा 133(6) के तहत निगरानी समिति को ब्याज से अर्जित ब्याज के संबंध में नोटिस जारी किया था. उन्होंने अदालत को बताया कि उक्त नोटिस पर समिति द्वारा 22 मार्च, 17 अप्रैल और 27 अगस्त को लिखे गए पत्रों के माध्यम से विधिवत उत्तर दिए गए थे, लेकिन नोटिस का निपटारा अभी तक नहीं हुआ है. उन्होंने अदालत से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया, जिस पर पीठ ने सहमति जताई. 

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निगरानी समिति बनाई गई है इसलिए, निगरानी समिति को अपने स्तर पर आयकर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है. फंड का रखरखाव सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी और निर्देश के तहत किया जाता है. बचत बैंक ब्याज सहित सभी निधियों को समय-समय पर अदालत को भेजा जाता है. 

पैनल ने आयकर विभाग को लिखा था और 2006 के आदेश सहित सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न आदेशों को भी संलग्न किया था जिसके द्वारा एक निगरानी समिति बनाई गई थी. यह कमेटी अवैध और अनधिकृत निर्माण के खिलाफ सीलिंग अभियान की निगरानी कर रही है और राष्ट्रीय राजधानी में वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए आवासीय परिसरों के दुरुपयोग के खिलाफ कार्रवाई भी कर रही है. 

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा

कोर्ट ने आयकर विभाग से स्पष्टीकरण मांगा और कहा कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ कुछ कार्रवाई की जानी चाहिए. 

दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने 24 मार्च, 2006 को चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार केजे राव, ईपीसीए के अध्यक्ष भूरे लाल और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सोम झिंगोन की निगरानी समिति नियुक्त की थी, ताकि अदालत  के निर्देशों के अनुसार कानून के कार्यान्वयन की निगरानी की जा सके. यानी  उल्लंघन करने वाले परिसरों को सील किया जा सके.




Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *