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संघ का इशारा क्या? केरल में तीन दिन के मंथन के बाद RSS ने दिए कौन से तीन संदेश?



नई दिल्ली:

केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तीन दिनों तक मंथन चली. पलक्कड़ में हुई इस बैठक में RSS चीफ मोहन भागवत, सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले समेत बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष ने भी हिस्सा लिया.  इस बैठक में आरएसएस की तरफ से कई मैसेज दिए गए. जातिगत जनगणना, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर संघ परिवार ने इशारों ही इशारों में बड़े संदेश देने की कोशिश की. साथ ही साथ बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया गया. 

RSS का पहला संकेत: महिला सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं
तीन दिन तक चली समन्वय बैठक के समापन के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुनील आंबेकर ने कहा कि अत्याचारों का शिकार होने वाली महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए कानूनों और दंडात्मक कार्रवाइयों की समीक्षा करने की जरूरत है. आरएसएस की बैठक में कोलकाता की घटना को लेकर विस्तार से चर्चा की गई. आंबेकर ने कहा कि यह एक ‘‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना” थी और ‘‘हर कोई इसके बारे में चिंतित है. आरएसएस की बैठक में देश में इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं, उन्होंने कहा कि बैठक में सरकार की भूमिका, आधिकारिक तंत्र, कानून, दंडनीय कार्रवाइयों और प्रक्रियाओं पर चर्चा हुई. 

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RSS का दूसरा संकेत: बांग्लादेशी हिंदुओं को लेकर संघ चिंतित
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय समन्वय सम्मेलन ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ बातचीत करने का आग्रह किया गया. आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सोमवार को यहां संपन्न हुए तीन दिवसीय सम्मेलन ‘समन्वय बैठक’ में बांग्लादेश की स्थिति को ‘‘बहुत संवेदनशील मुद्दा” बताया गया. 

उन्होंने कहा कि समन्वय बैठक के दौरान विभिन्न संगठनों ने बांग्लादेश की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की. आंबेकर ने कहा, ‘‘बेशक, यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है. बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को लेकर हर कोई चिंतित है.” उन्होंने कहा कि विभिन्न संगठनों ने अपने प्रतिनिधियों और बयानों के माध्यम से केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह बांग्लादेश सरकार के साथ मिलकर काम करे, ताकि ‘‘वहां हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.”

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RSS का तीसरा संकेत: जातीय जनगणना पर संघ की हरी झंडी
आरएसएस ने स्पष्ट किया है कि कल्याणकारी योजनाओं के लिए जाति के आंकड़े जुटाने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जातिगत जनगणना के मुद्दे का इस्तेमाल चुनावी राजनीति के लिए नहीं होना चाहिए.  संघ ने ये भी कहा है कि एससीएसटी के उपवर्गीकरण का सुप्रीम कोर्ट का फैसला आम राय बना कर लागू होना चाहिए. आरएसएस की तरफ से कहा गया कि यह एक बहुत संवेदनशील विषय है.  यह हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण विषय है. इसलिए इसे केवल चुनाव या राजनीति के नजरिए से नहीं देखना चाहिए. कई बार कल्याणकारी योजनाओ के लिए नंबर चाहिए होते हैं. सरकार को नंबर चाहिए होते हैं. पहले भी लिए हैं. लेकिन यह केवल उन जातियों के कल्याण के लिए होना चाहिए. यह चुनाव में राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. 

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