री-एग्जाम की मांग पर विवाद के बीच BPSC ने जारी किए CCE प्री के नतीजे, 21581 अभ्यर्थी हुए पास
नई दिल्ली:
री-एग्जाम की मांग पर विवाद के बीच बीपीएससी (BPSC) ने CCE प्री के नतीजे जारी कर दिए हैं. इसमें 21581 अभ्यर्थी सफल हुए हैं. पटना में बीपीएससी 70वीं परीक्षा को दोबारा कराने की मांग को लेकर छात्र लगातार आंदोलन कर रहे हैं.
पिछले साल 13 दिसंबर को बीपीएससी द्वारा आयोजित सीसीई परीक्षा प्रश्नपत्र लीक के आरोपों के कारण विवादों में घिर गई है.
13 दिसंबर को हुई थी परीक्षा
बिहार के अलग-अलग परीक्षा केंद्रों में 13 दिसंबर को बीपीएससी 70वीं परीक्षा का आयोजन किया गया था. इसके बाद 4 जनवरी को 12 हजार अभ्यर्थियों का री-एग्जाम आयोजित किया गया था.
हालांकि सरकार ने एक तरफ आरोपों को खारिज कर दिया है. लेकिन आयोग ने पटना के एक केंद्र पर 12,000 से अधिक उम्मीदवारों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित की थी. इसे प्रदशर्नकारियों ने ‘समान अवसर’ के सिद्धांत के खिलाफ बताया है.
बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं छात्र
पटना के गर्दनीबाग में धरना दे रहे बीपीएससी के अभ्यर्थी बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) को पूरी तरह रद्द करने और दोबारा परीक्षा लिए जाने की मांग कर रहे हैं. छात्र इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मिलना चाहत हैं. उनका कहना है कि वे अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर उन्हें पूरे मामले से अवगत कराना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें पूरे मामले की जानकारी नहीं है.
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी गर्दनीबाग में एक माह से आंदोलन कर रहे बीपीएससी अभ्यर्थियों से जाकर मुलाकात की थी. उन्होंने उनके साथ धरना स्थल पर बैठकर उनकी बातें सुनीं. कांग्रेस नेता ने अभ्यर्थियों से कहा कि मैं आपके साथ हूं, आप जहां भी कहेंगे, आपके साथ राहुल गांधी खड़ा मिलेगा.
सुप्रीम कोर्ट में है 70वीं बीपीएससी परीक्षा को लेकर मामला
70वीं बीपीएससी परीक्षा को लेकर मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है. छात्रों की इस मांग को कई राजनीतिक दलों का समर्थन मिला है. इससे पहले छात्रों के धरना-प्रदर्शन में कांग्रेस नेता राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव, जन सुराज के मुखिया प्रशांत किशोर और तमाम नेता पहुंच चुके हैं.
साथ ही बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के अध्यक्ष मनुभाई परमार की नियुक्ति को अवैध बताते हुए मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है. अधिवक्ता ब्रजेश सिंह द्वारा दायर याचिका में नियुक्ति को चुनौती देते हुए कहा गया कि यह उस संवैधानिक प्रावधान के खिलाफ है जिसके मुताबिक केवल ‘स्वच्छ चरित्र’ वाले लोगों को लोक सेवा आयोगों के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए.
बीपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में मामला
जनहित याचिका के अनुसार, परमार बिहार के सतर्कता ब्यूरो द्वारा दर्ज कथित भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी थे और मामला पटना में एक विशेष न्यायाधीश के समक्ष लंबित था. याचिका में कहा गया है, ‘‘इस प्रकार जाहिर तौर पर, प्रतिवादी नंबर दो (परमार) पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप हैं और ऐसे में उनकी ईमानदारी संदिग्ध है. इसलिए उन्हें बीपीएससी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए.”