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राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने बताया कैसे दे सकते हैं झारखंड की अर्थव्यवस्था को मजबूती, देश में सबसे बड़ा उत्पादक है झारखंड


C P Radhakrishnan News: राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन का कहना है कि झारखंड के बेशकीमती टसर रेशम में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गहन पहचान बनाने की क्षमता है और केंद्रीय रेशम बोर्ड व खादी बोर्ड इसे बढ़ावा देने के लिए उत्सुक हैं. राज्यपाल ने आदिवासी बहुल राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

राधाकृष्णन ने सोमवार (2 अक्टूबर)  को एक विशेष साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा को बताया कि मैंने केंद्रीय रेशम बोर्ड की एक टीम से मुलाकात की और उनसे टसर रेशम कालीन बनाने तथा इनका घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार करने के लिए कहा. भारत दुनिया में रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और झारखंड देश में टसर रेशम का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो कुल घरेलू उत्पादन का लगभग 65 प्रतिशत है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टसर रेशम को बढ़ावा दिया है
झारक्राफ्ट (झारखंड रेशम वस्त्र एवं हस्तशिल्प विकास निगम लिमिटेड) के बैनर तले टसर रेशमी साड़ियां पहले ही वैश्विक बाजारों में अपनी पहचान बना चुकी हैं. राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टसर रेशम को बढ़ावा दिया है. मोदी ने जून में अमेरिका की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडन को झारखंड का हाथ से बुना हुआ टसर रेशम का कपड़ा उपहार में दिया था.राज्यपाल राधाकृष्णन ने कहा कि टसर कालीन को बढ़ावा देने के लिए खादी बोर्ड के साथ बातचीत जारी है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टसर रेशम को बढ़ावा देने के लिए हम प्रधानमंत्री के आभारी हैं.

झारखंड को भारी राजस्व मिल सकता है
राज्यपाल के अनुसार, टसर कालीन से झारखंड को भारी राजस्व मिल सकता है. राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने राज्य में बड़े पैमाने पर यात्रा की है और उनका मानना है कि रोजगार केवल कृषि क्षेत्र द्वारा प्रदान नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन के लिए हमें एमएसएमई को बढ़ावा देना होगा. महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात जैसे विकसित राज्यों में मजबूत एमएसएमई हैं. हमें इसके लिए चैंबर ऑफ कॉमर्स की मदद लेनी होगी. राज्यपाल ने उम्मीद जताई कि स्वयं सहायता समूहों को मजबूती देने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है.

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