'युद्ध में नहीं गई जवान की जान' 'ठंड में LOC पर तैनात थे और शहीद की विधवा को आप…', पेंशन के लिए केंद्र के तर्क पर भड़क गया SC
<p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (4 दिसंबर, 2024) को एक शहीद की विधवा की पेंशन पर सुनवाई करते हुए केंद्र पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने केंद्र से कहा कि ऐसे मामले में प्रतिवादी को कोर्ट में नहीं घसीटा जाना चाहिए और उनके खिलाफ सहानुभूति रखनी चाहिए. केंद्र ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें विधवा के लिए लिबरेलाइज्ड फैमिली पेंशन (LFP) की अनुमति दी गई थी, लेकिन केंद्र का कहना है कि मृत्यु युद्ध के दौरान नहीं हुई है इसलिए विधवा एलएफपी की हकदार नहीं हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा, ‘हमारे ख्याल में, इस तरह के मामले में प्रतिवादी को इस न्यायालय में नहीं घसीटा जाना चाहिए था और अपीलकर्ताओं के निर्णय लेने वाले प्राधिकार को सेवाकाल के दौरान शहीद एक सैनिक की विधवा के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए थी इसलिए, हम 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव करते हैं, जो प्रतिवादी को देना होगा.'</p>
<p style="text-align: justify;">केंद्र को मंगलवार से शुरू होने वाले दो महीनों के अंदर विधवा को इस राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है. केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने तर्क दिया कि एलएफपी रक्षा मंत्रालय के निदेशक (पेंशन) की ओर से 31 जनवरी, 2001 पर जारी आदेश द्वारा शासित हैं. उन्होंने कहा कि एलएफपी सिर्फ उन्हीं मामलों में स्वीकार्य है, जो पैराग्राफ 4.1 की डी और ई कैटेगरी में आते हैं, जबकि कैटेगरी डी इस मामले में लागू नहीं होती है और न ही कैटेगरी ई क्योंकि जवान की मृत्यु फिजिकल कैजुअलटी में वर्गीकृत है, युद्ध के दौरान मृत्यु में नहीं. </p>
<p style="text-align: justify;">इस पर शहीद की पत्नी सरोज देवी ने कोर्ट को बताया कि शुरुआत में मामले को युद्ध के दौरान मृत्यु माना गया और इसके लिए सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया, लेकिन बाद में इसको बदलकर फिजिकल कैटेगरी में शिफ्ट कर दिया गया. </p>
<p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जवान की मृत्यु लाइन ऑफ कंट्रोल पर ऑपरेशन रक्षक के तहत डोमिनेशन पेट्रिलिंग करते वक्त हुई. वह रात को 1.30 से 3.30 बजे तक ड्यूटी पर थे और कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई इसलिए इसको बैटल कैजुअलटी ही माना जाएगा. नाइक इंद्रजीत सिंह 27 फरवरी, 1996 को भारतीय सेना मे तैनात हुए थे और 23 जनवरी, 2013 को एलओसी पर नाइट पेट्रोलिंग के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी. अगस्त, 2019 में ट्रिब्यूनल ने उनकी पत्नी के लिए एलएफपी पेंशन का निर्देश दिया था</p>
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