मल्लिकार्जुन खरगे की आज हरियाणा में होने वाली रैलियां रद्द, क्या शैलजा की नाराजगी है वजह
नई दिल्ली:
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को हरियाणा के अंबाला और घरौंड़ा में होने वाली रैली में जाना स्थगित कर दिया है.इसके पीछे स्वास्थ्य को कारण बताया गया है.डॉक्टरों ने खरगे को आराम करने की सलाह दी है. अब इन रैलियों को हरियाणा के ही नेता संबोधित करेंगे. यह खबर हरियाणा कांग्रेस के दो बड़े नेताओं सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा में जारी मनमुटाव की खबरों के बीच आई है.
खरगे का कार्यक्रम स्थगित होने के बाद अब अंबाला में होने वाली कांग्रेस की रैली को पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा संबोधित करेंगे. कुमारी शैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा में मनमुटाव की खबरों के बीच खरगे का रैली में न आने ने कई अटकलों को जन्म दे दिया है.
क्यों नाराज हैं कुमारी शैलजा
बताया जा रहा है कि कुमारी शैलजा ने अपने समर्थकों के लिए ढाई दर्जन से अधिक सीटों की मांग की थी.लेकिन टिकट बंटवारे में 70 से अधिक जगह हुड्डा के समर्थक टिकट हथियाने में कामयाब हो गए. ऐसे में शैलजा खेमे को केवल 4-5 सीटें ही मिल पाईं.कांग्रेस ने 12 सितंबर को अपनी अंतिम सूची जारी की थी.इसके बाद से ही सैलजा ने चुप्पी साध ली है. कहा जा रहा है कि टिकट बंटवारे में अपने लोगों को जगह न दिए जाने से वो नाराज हैं.इसलिए उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार से दूरी बना ली है.इस बीच कुछ लोगों की ओर से सैलजा पर जाति के आधार पर की गई टिप्पणियों ने उन्हें और नाराज कर दिया है. शैलजा समर्थकों का कहना है कि हुड्डा के समर्थकों ने उन्हें जाति के आधार पर निशाना बनाया.
आज उम्मीद की जा रही थी कि वो मल्लिकार्जुन खरगे की अंबाला और घरौंडा में होने वाली रैलियों में शामिल होंगी. लेकिन अब खरगे का आना है स्थगित हो गया है. इससे अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या हरियाणा में कांग्रेस में सब ठीक चल रहा है. अब तक मिल रहे रुझानों में हरियाणा में कांग्रेस अच्छी स्थिति बताई जा रही है. लेकिन शैलजा के रुख से हुड्डा खेमा परेशान है. उसे डर है कि कहीं शैलजा की चुप्पी से उनके अरमानों पर पानी न फिर जाए.
हरियाणा में दलित वोटों की महिमा
हरियाणा में दलित वोटों की आबादी करीब 20 फीसदी है. राज्य की 90 सदस्यों वाली विधानसभा में 17 सीटे अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. सैलजा का प्रभाव सिरसा और फतेहाबाद जिले में भी माना जाता है. कुमारी सैलजा हरियाणा में दलित समुदाय की सबसे बड़ी नेता हैं. ऐसे में उनकी नाराजगी का खमियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है.