देश के लिए क्यों जरूरी है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’? रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समझाया
Rajnath Singh interview on NDTV: बीते दिनों में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्ववाली एक हाई लेवल कमिटी ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी, जिसमें लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है. अब देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने एनडीटीवी से खास बातचीत के दौरान कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ होना ही चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ होने से देश की जनता को क्या फ्यदा होगा?
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के सवाल पर राजनाथ सिंह ने कहा, “पक्का होगा और यह होना ही चाहिए. ये देश के लिए अनिवार्य है. इसके पहले भी सार्वजनिक सभा में मैंने कहा है कि बार- बार चुनाव से जनता का समय भी बर्बाद होता है और साथ ही भारी भरकम धनराशि भी लोगों की खर्च होती है. सरकार की भी धनराशि खर्च होती है. इसलिए ‘वन नेशन, वन इलेक्शन होना’ चाहिए.
NDTV से राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत की डेमोक्रेसी पर दुनिया की कोई भी ताकत प्रश्न चिन्ह कभी नहीं लगा सकती, बल्कि भारत की डेमोक्रेसी को और अधिक मजबूत करने के लिए जो भी कदम उठाने होंगे, वो हमारी सरकार उठाएगी. भारत के लोकतंत्र के साथ किसी को भी खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी सकती है.”
क्या है वन नेशन, वन इलेक्शन, जिसपर छिड़ी है बहस…
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’…का मतलब है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों का एक साथ होना. अगर केंद्र सरकार देश में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लागू करती है तो ये कोई पहली बार नहीं होगा, जब इसे तरह से देश में चुनाव कराए जाएंगे. इससे पहले वर्ष 1952, 1957, 1962, 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए गए थे. 1968 और 1969 में कई विधानसभा समय से पहले भंग भी किए गए. वहीं, 1970 में लोकसभा को समय से पहले भंग किया था. 1970 के बाद ही ‘एक देश, एक चुनाव’ की परंपरा खत्म हो गई.
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