जॉर्ज सोरोस फंडेड OCCRP रिपोर्ट की दिलचस्प टाइमिंग और हिंडनबर्ग का रिकैप
पिछले कुछ साल में बहुत लोगों को हंगरी मूल के अमेरिकी जॉर्ज सोरोस (George Soros) का असली चेहरा पता चल गया है. शायद इसलिए अनुभवी राजनयिक और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोरोस को ‘बूढ़ा, अमीर, मनमौजी और खतरनाक’ बताया था. बेशक जयशंकर ने ऐसा ठोस कारण के आधार पर ही कहा.
अमेरिका में इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला के संस्थापक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) के मालिक एलन मस्क ने फर्जी जानकारी फैलाने के आरोप में जॉर्ज सोरोस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है. मस्क ने सोरोस को इंसानियत से नफरत करने वाला शख्स बताया था. सोरोस को यूरोपीय संघ से भी बाहर कर दिया गया है.
इसके बावजूद जॉर्ज सोरोस अपने सीक्रेट एजेंडे को आगे बढ़ाने से नहीं रुके. वह दुनिया के कुछ हिस्सों में आर्थिक और राजनीतिक अशांति पैदा करने की कोशिश करते रहते हैं. इस यकीन के साथ कि पैसे से वह प्रभुत्व स्थापित सकते हैं या कम से कम लोगों में कंफ्यूजन पैदा कर सकते हैं. करीब 6 महीने पहले जॉर्ज सोरोस ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं करते हैं. बेशक उनके विचार ‘मूर्खतापूर्ण’ लग सकते हैं, लेकिन वह भारत में ‘लोकतंत्र को फिर से फलने-फूलने के लिए’ सत्ता परिवर्तन देखने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे.
कोई भी अनुमान लगा सकता है कि सोरोस की बातों का क्या मतलब है. वह किसकी और किस तरह की राजनीतिक व्यवस्था की वकालत कर रहे हैं.
यह अदाणी ग्रुप (Adani Group) की कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के तत्काल बाद की बात है. अदाणी कंपनियों के शेयर की कीमतें नीचे की ओर बढ़ती गईं और राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने विपक्ष के कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर संसद के बजट सत्र को जबरन रद्द कराने की कोशिश की. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुरू की, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई. इस मामले में भारतीय सुरक्षा और विनिमय बोर्ड (सेबी) और प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी स्वतंत्र जांच भी शुरू की.
जांच के दौरान एक्सपर्ट कमेटी को कोई रेगुलेटरी नाकामी नहीं मिली. सेबी और ईडी को अदाणी ग्रुप के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला. इसके विपरीत, ईडी के निष्कर्ष खुलासा कर रहे हैं.
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ईडी ने अब तक भारतीय शेयर बाजार में ‘संदिग्ध’ गतिविधियों में शामिल कुछ भारतीय और विदेशी संस्थाओं के खिलाफ पर्याप्त खुफिया जानकारी इकट्ठा की है. इनमें से कुछ जानकारियां नवंबर 2022 की शुरुआत की है, जो हिंडनबर्ग रिपोर्ट और शॉर्ट सेलिंग पोजिशन से जुड़ी हैं. कुछ FPIs (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) की जानकारी भी मिली है, जिनकी वर्तमान में बेनिफिशियल ओनरशिप (लाभकारी स्वामित्व) का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है. सूत्रों ने कहा कि इनमें से ज्यादातर यूनिट ने कभी भी अदाणी ग्रुप के शेयरों का कारोबार नहीं किया था और कुछ तो पहली बार कारोबार कर रहे थे.
सेबी जल्दी ही अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी
इस बीच अदाणी ग्रुप के खिलाफ कांग्रेस का कैंपेन धीमा पड़ चुका है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट जांच की सीधी निगरानी कर रहा है. अदाणी ग्रुप की कंपनियों का अच्छा प्रदर्शन जारी है. आख़िरकार उनका निवेश अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट हैं. अदाणी ग्रुप की कंपनियों पर निवेशकों का भरोसा लौटा है. ‘जीवन बीमा निगम (LIC) खतरे में है’ जैसे मनगढ़ंत आरोपों के जरिए सरकार के खिलाफ लोगों में दहशत और गुस्सा पैदा करने की कांग्रेस की कोशिशों का उन पर उल्टा असर पड़ा, क्योंकि एलआईसी ने अच्छा रिटर्न दिया है.
अंतरराष्ट्रीय और घरेलू खिलाड़ियों को शामिल करने वाले तथाकथित टूल-किट नेटवर्क की कोशिशें कामयाब नहीं हुईं. उन्हें या तो इस बात का एहसास नहीं है या वे इस तथ्य से इनकार कर रहे हैं कि मोदी सरकार दबाव में नहीं झुकती. कम से कम निहित स्वार्थों द्वारा शुरू किए गए दबाव के आगे बिल्कुल नहीं झुकती.
जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से फंडेड ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने एक रिपोर्ट पेश की है. इसे ‘अदाणी ग्रुप के कॉर्पोरेट और नैतिक कदाचार पर ताजा चौंकाने वाले खुलासे’ बताया जा रहा है. ये रिपोर्ट मूल रूप से हिंडनबर्ग रिपोर्ट का दोहराव लगती है. ये उन मुद्दों को संदर्भित करती है, जिन्हें लंबे समय में कानूनी और न्यायिक जांच के बाद सुलझाया गया है. उन्हें शायद उम्मीद है कि बार-बार आरोप लगाकर वो शायद लोगों के एक वर्ग के बीच शक के बीज बो सकते हैं. जांच एजेंसियों पर दबाव डाल सकते हैं और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले किसी तरह की पूछताछ करने के लिए नकारात्मक चर्चा पैदा कर सकते हैं.
जैसे ही OCCRP ने अपने मीडिया पार्टनर्स ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ और ‘गार्जियन’ के साथ अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की, कांग्रेस पार्टी ने इसका इस्तेमाल मोदी सरकार को निशाना बनाने और जेपीसी की अपनी विलुप्त मांग को पुनर्जीवित करने के लिए किया.
लेकिन गुरुवार दोपहर को OCCRP का एक ट्वीट सबसे दिलचस्प था. इस ट्वीट से राहुल गांधी और कांग्रेस के साथ OCCRP के सहयोग की झलक मिलती है. ट्वीट में लिखा गया, “हमारी लेटेस्ट जांच के जवाब में भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता राहुल गांधी अदाणी ग्रुप के बारे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे… यह शाम 5 बजे IST (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम) निर्धारित है. लाइव देखें.” इसमें राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस का यूट्यूब लिंक भी दिया गया.
In response to our latest investigation, @RahulGandhi, a leader of India’s largest opposition party, will hold a press conference about the Adani Group, one of India’s top conglomerates. It is scheduled for 5 p.m. IST.
Watch live: https://t.co/pTGwkWOAlS
— Organized Crime and Corruption Reporting Project (@OCCRP) August 31, 2023
राहुल गांधी अपने परस्पर विरोधी हितों को सुलझाने और पीएम मोदी का मुकाबला करने के लिए एक आम रणनीति बनाने के मकसद से विपक्षी गठबंधन INDIA की तीसरी बैठक में हिस्सा लेने मुंबई पहुंचे थे. लेकिन, राहुल गांधी विपक्षी बैठक के बारे में नहीं, बल्कि हिंडनबर्ग-OCCRP-अदाणी मुद्दे पर मीडिया को संबोधित करने की जल्दी में थे. वह भी तब जब उनके गठबंधन सहयोगी शरद पवार और कुछ अन्य नेता हिंडनबर्ग-अदाणी मुद्दे पर उनकी और कांग्रेस की कार्रवाई से असहमत रहे हैं. इससे कई सवाल खड़े होते हैं.
कांग्रेस के ‘रियल बॉस’ यहीं नहीं रुके. राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “जी-20 के नेताओं के यहां आने से ठीक पहले ये रिपोर्ट प्रधानमंत्री पर बहुत गंभीर सवाल उठा रही है. जी-20 के मेहमान सवाल पूछ रहे हैं कि यह स्पेशल कंपनी क्या है. यह कंपनी किसके स्वामित्व में है.”
ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या राहुल गांधी G20 के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राजनयिकों को G20 के आधिकारिक एजेंडा से इतर एजेंडा चलाने की सलाह दे रहे हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने (रिपोर्ट में उल्लिखित) एक ताइवानी नागरिक को चीनी कहा. यह ताइवान पर बीजिंग की नीति के लिए या तो नस्ली या खुला समर्थन है.
संयोग से यह सब उस दिन हुआ, जब चालू वित्त वर्ष 2023-2024 की अप्रैल-जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े बढ़कर 7.8 प्रतिशत हो गए. जबकि वित्त वर्ष 2022-23 की पिछली जनवरी-मार्च तिमाही में GDP में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
बताया गया है कि सोरोस फैमिली का ओपन सोसाइटी फाउंडेशन मानवाधिकारों को कायम रखने और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को आगे बढ़ाने के लिए सालाना लगभग 1.5 बिलियन डॉलर (लगभग 12,000 करोड़ रुपये) अलॉट करता है. यह सोरोस फंडेड फ्रांसीसी एनजीओ शेरपा एसोसिएशन था, जिसने भारत के साथ 36-विमान राफेल सौदे के खिलाफ 2018 में फ्रांस में भ्रष्टाचार का मामला दायर किया था.
हम जानते हैं कि राफेल मुद्दे पर राहुल गांधी का कैंपेन कैसे फेल रहा. उन्हें सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त लिखित माफी मांगनी पड़ी.
वहीं, OCCRP रिपोर्ट की टाइमिंग भी काफी दिलचस्प है. राहुल गांधी ने आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन का हवाला दिया, लेकिन उन्होंने आसानी से मुंबई में ग्रैंड हयात होटल के शानदार कैंपस में हुए विपक्षी गठबंधन INDIA के दो दिवसीय बैठक का जिक्र नहीं किया. जहां सोरोस फंडेड OCCRP रिपोर्ट ने मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को हमला करने के लिए तैयार गोला-बारूद दिया.
OCCRP रिपोर्ट की टाइमिंग के बारे में एक और दिलचस्प बात सुप्रीम कोर्ट में अदाणी ग्रुप पर होने वाली आगामी सुनवाई है. इस सुनवाई में सेबी की अंतिम रिपोर्ट और एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पेश करने पर आगे विचार-विमर्श होगा.
पेगासस, राफेल, पीएम मोदी पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, हिंडनबर्ग-अदाणी और अब OCCRP-अदाणी मामले में यही हुआ. वे पहले भी सफल नहीं हुए थे. इस बार भी कुछ अलग होने की संभावना नहीं है. हालांकि, इस प्रक्रिया में उन्होंने अनजाने में ऑर्केस्ट्रेशन और उनके सहयोगी खिलाड़ियों को उजागर कर दिया.
(संजय सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं)
Disclaimer: ये लेखक के निजी विचार हैं.