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छात्र राजनीति से बंगाल के CM तक…राजनीति में कुछ ऐसे बढ़ती गई ‘दीदी’ की ताकत


कम्युनिस्ट को बंगाल की राजनीति से उखाड़ फेंका
हालांकि, ममता हार नहीं मानी और बंगाल की सियासी जमीन पर डटी रही. जिसका असर 2011 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला. ममता बनर्जी ने करीब 34 सालों से सत्ता पर काबिज कम्युनिस्ट को बंगाल की राजनीति से उखाड़ फेंका. टीमसी को 184 सीटें पर जीत मिली. इसके बाद फिर 2016 के चुनाव में भी ममता बनर्जी के TMC ने अच्छा प्रदर्शन किया और 211 सीटें पर जीत हासिल की.

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जमीनी नेता के तौर पर ममता की पहचान
सियासत में ममता को एक बाद एक सफलता हासिल करने में कामयाब रहीं. पहले सांसद बनीं, फिर केंद्र में मंत्री रहीं और उनके बाद ममता बंगाल की CM बनीं. लेकिन उनके रहन-सहन में कोई बदलाव नहीं आया. सफेद साड़ी और हवाई चप्पल में वो हमेशा ही दिखीं. ममता बंगाल की पहचान हमेशा एक जमीनी नेता के तौर पर हुई. बंगाल की हर लड़ाई में वो अग्रिम मोर्चा पर खड़ी रहीं.

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ममता बनर्जी के बारे में…
ममता बनर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल में एक बंगाली हिन्दू परिवार में हुआ था. उनके माता-पिता प्रोमिलेश्वर बनर्जी और गायत्री देवी थे. बनर्जी के पिता, प्रोमिलेश्वर (जो एक स्वतंत्रता सेनानी थे. 1970 में ममता ने देशबन्धु शिशुपाल से उच्च माध्यमिक बोर्ड की परीक्षा पूरी की. उन्होंने जोगमाया देवी कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. बाद में, उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से इतिहास में अपनी मास्टर डिग्री हासिल की.




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