गंगा पुल पर अप-लाइन की जर्जर ट्रक का पैनल गला, बड़ा हादसा टला, तेजस समेत कई ट्रेनें प्रभावित
<p style="text-align: justify;"><strong>Railway News:</strong> उन्नाव के शुक्लागंज में गंगा रेलवे पुल पर अप-लाइन की जर्जर ट्रैक का एक पैनल गलने से बड़ा हादसा होते-होते बच गया. ट्रैक पेट्रोलिंग के दौरान जब ट्रैकमैन की नजर गली हुई ट्रक पर पड़ी तो उसने तुरंत रेलवे अधिकारियों को सूचना दी. इसके बाद पीडब्ल्यूआई (परमानेंट वे इंस्पेक्टर) ने स्टेशन मास्टर को मेमो जारी किया. वहीं रेलपथ विभाग ने फौरन एक अस्थायी प्लेट लगाकर ट्रेनों को धीमी गति से निकाला. </p>
<p style="text-align: justify;">रेलवे सूत्रों के मुताबिक, अगर समय रहते इस खामी को नहीं पकड़ा जाता तो ट्रेनें बेपटरी हो सकती थी, जिससे बड़ा हादसा हो सकता था. गली हुई ट्रक के कारण रेलवे प्रशासन को गंगा पुल पर ट्रेनों को रोकना पड़ा. इस दौरान कॉरपोरेट ट्रेन तेजस, गोमती एक्सप्रेस, उद्योग नगरी, लखनऊ-पुणे, रायबरेली पैसेंजर, मेमो पैसेंजर और दो मालगाड़ियों समेत दर्जनों ट्रेनें प्रभावित हुईं. रेलवे ने इन्हें पुल के पोल संख्या 68/25 के पास से बेहद धीमी गति से गुजारने का फैसला किया.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://www.abplive.com/states/up-uk/noida-schools-once-again-received-bomb-threat-by-mail-sent-to-parents-ann-2878940">Bomb Threat: नोएडा में एक बार फिर स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिली, बच्चों को वापस भेजा गया घर</a><br /></strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्रॉसिंग पूरी तरह से बंध</strong><br />यात्रियों को असुविधा का सामना न करना पड़े इसलिए कई ट्रेनों की रफ्तार थम गई और कई यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा. गंगा पुल पर अप लाइन की ट्रक काफी पुरानी और जर्जर हालत में है. सूत्रों के अनुसार, रेलवे ने शुक्रवार से इस ट्रक को बदलने का निर्णय लिया है. यह कार्य लगभग दो महीने तक चलेगा, जिसके कारण रेलवे क्रॉसिंग पूरी तरह से बंद रहेगी. इस दौरान ट्रेनों का संचालन भी प्रभावित हो सकता है और यात्रियों को वैकल्पिक मार्गों से यात्रा करने की सलाह दी जा रही है.</p>
<p style="text-align: justify;">ट्रैक की खराब हालत को देखकर यात्री सहमे हुए थे, लेकिन रेलवे के त्वरित फैसले से बड़ा हादसा टल गया. रेलवे प्रशासन ने दावा किया कि हमने तुरंत कार्रवाई करते हुए अस्थायी समाधान निकाल लिया है लेकिन स्थायी मरम्मत के लिए दो महीने का समय लगेगा. इस घटना ने रेलवे प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है. सवाल उठ रहे हैं कि अगर ट्रैकमैन को यह समस्या न दिखती, तो क्या रेलवे खुद इसका पता लगा पाता? </p>
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