खाद संकट को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा, दिग्विजय सिंह-जीतू पटवारी ने CM मोहन यादव से किए ये सवाल
<p style="text-align: justify;"><strong>Madhya Pradesh News:</strong> मध्य प्रदेश में खाद संकट को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने गुरुवार (17 अक्तूबर) को भोपाल में एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य में चल रहे खाद संकट को लेकर कांग्रेसी नेताओं ने मौजूदा सरकार पर बड़ा हमला बोला और उनसे कुछ सवाल भी किए.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, देश में डीएपी (खाद) की किल्लत सरकार की नीतियों के कारण है. वर्तमान में देश में 100 लाख टन डीएपी (खाद) की आवश्यकता है, जिसमें से देश में 4 लाख टन प्रति माह का उत्पादन होता है. इसके लिए कच्चा माल भी आयात करना पड़ता है. आयात में समस्या से 20 फीसदी करीब कम उत्पादन हुआ है, बाकी लगभग 5 लाख टन डीएपी का आयात होता, तब जाकर हमारी आवश्यकता पूरी हो रही है.</p>
<p style="text-align: justify;">इस साल देश में अप्रैल से अगस्त तक 16 लाख टन करीब डीएपी आया था, जबकि पिछले साल 32.5 लाख टन का आयात हुआ था, जो 16.5 लाख टन यानी 50 फीसदी कम है. मध्य प्रदेश में डीएपी की 9 लाख टन से ज्यादा की जरूरत है, जिसके एवज में अभी तक मध्य प्रदेश में लगभग 4.5 लाख टन डीएपी आया है, बाकी 5 से 6 लाख टन की कमी है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कांग्रेस नेताओं ने क्या कहा?<br /></strong>उन्होंने कहा, अगले 15 दिन मध्य प्रदेश के किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. बड़े रकबे में बुवाई एक साथ शुरू होगी. सरकार डीएपी की जगह एनपीके (खाद) डालने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. डीएपी में 18 फीसदी नाइट्रोजन और 46 फीसदी फास्फोरस होता है. यदि डीएपी की जगह एनपीके देते हैं तो 6 लाख टन डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए 9 लाख टन एनपीके की जरुरत रहेगी. जबकि अभी तक कुल 3 लाख टन डीएपी आया है, जो पिछले साल से 1 लाख टन कम है. मतलब 350 रैक सिर्फ एनपीके चाहिए.</p>
<p style="text-align: justify;">यह इस बात का प्रमाण है कि मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री के जिले मुरैना में 24,500 मीट्रिक टन डीएपी की डिमांड है. इसके मुकाबले किसानों के लिए महज 8,247 मीट्रिक टन डीएपी ही उपलब्ध है. मतलब कृषि मंत्री के क्षेत्र में 33 फीसदी खाद आपूर्ति हुई है. 25 सितम्बर को प्रकाशित खबर के अनुसार जब कृषि मंत्री के क्षेत्र के ये हाल हैं तो बाकी जगह कितनी उपलब्धता हुई होगी इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">पहले बात तो आयात 50 फीसदी कम हुआ, दूसरा मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी डिमांड वास्तविक जरूरत से कम भेजी, तीसरा अग्रिम भंडारण पिछले साल की तुलना में इस साल 3.51 लाख मीट्रिक टन डीएपी का कम हुआ. सरकार की एपीसी की संभाग स्तर की पिछली बैठकों, कलेक्टरों के स्टेटमेंट देखिये वो सब कह रहे हैं कि डीएपी की जगह दूसरे उर्वरक डाले तो सरकार बताये कि किसान कौन से उर्वरक डाले और उनकी गुणवत्ता की गारंटी कौन लेगा? किसानों तो डीएपी की ही मांग कर रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, पूर्व में खाद की उपलब्धता सहकारी समितियों के माध्यम से कराई जाती थी, जिससे किसानों को उनके गांव में गुणवत्ता युक्त शासकीय दाम पर बिना किसी परेशानी के खाद उपलब्ध होता था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने लोगों को उपकृत करने के लिए खाद की लगभग आधी मात्रा में खुले बाजार में बिक्री की छूट दे रखी है, जिससे किसानों को शहर आकर महंगे दाम में खाद खरीदना पड़ता है. </p>
<p style="text-align: justify;">वहीं खुले बाजार में बिक्री से खाद के साथ अन्य सामग्री जैसे अन्य उर्वरक, कीटनाशक दवाई, टॉनिक, बीज, सल्फर, जिंक के अलावा ऐसे उत्पाद जो किसानों की आवश्यकता नहीं है उन्हें भी मजबूरन टैग करके खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है. सरकार खोखले दावे करती है कि किसानो को जीरो ब्याज पर लोन उपलब्ध कराएंगे, लेकिन जब किसानों को साख समितियों से खाद नहीं मिलेगा, नगद ऋण नहीं मिलेगा तो फिर कैसे जीरो ब्याज का फायदा किसानों को मिलेगा. अभी तो उल्टा किसान की जेब से अतिरिक्त पैसा जा रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;">मध्य प्रदेश में रवि की फसल के लिए 22 लाख टन यूरिया की जरुरत है, जबकि अभी 10.12 लाख मीट्रिक टन यूरिया की उपलब्धता है. जैसे कि अक्टूबर माह में 4.5 लाख टन यूरिया की मांग है, लेकिन 2 लाख 90 हजार टन ही उपलब्ध हो पाया. आगामी माह में भी इस कमी की पूर्ति होना असंभव है, जिसके कारण अगला माह भी किसानों के लिए परेशानी का सबब बनेगा.</p>
<p style="text-align: justify;">सरकार द्वारा नेनो यूरिया और नेनो डीएपी का बड़े स्तर पर क्षेत्र में प्रचार-प्रसार दानेदार यूरिया और दानेदार डीएपी के विकल्प के रूप में किया जा रहा है, जबकि नेनो यूरिया और नेनो डीएपी को पिछले साल फसलों पर डालने पर वो प्रभाव नहीं देखा गया जो दानेदार यूरिया और डीएपी का होता है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कांग्रेस ने सरकार से पूछे ये सवाल</strong></p>
<p style="text-align: justify;">डीएपी की उपलब्धता के सम्बन्ध में सरकार की क्या योजना है.<br />क्या सरकार अन्य उर्वरकों से डएपी के तत्वों की पूर्ती करना चाहती है. इसके सम्बन्ध में सरकार की क्या कार्य योजना है.<br />क्या अन्य उर्वरकों से पूर्ती हेतु सरकार द्वारा किसानों के बीच में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया है.<br />सरकार द्वारा अग्रिम भंडारण योजना के अंतर्गत यूरिया डीएपी का अग्रिम भंडारण क्यों नहीं कराया गया. यदि आनन-फानन में सरकार द्वारा उर्वरकों की उपलब्धता की जाती है तो गुणवत्ता की सुनिश्चितत्ता कैसे होगी.</p>
<p style="text-align: justify;">अगले 15 दिनों में गेंहू, चना, सरसों, आलू एवं प्याज की लगभग बुवाई हेतु किसान अपनी तैयारियों में लगा हुआ है जिसमे लगभग 90 प्रतिशत यानी लगभग 9 लाख मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता है. जिसकी समय पर पूर्ती नहीं होने पर फसलों का उत्पादन घटना तय है इसकी जवाबदेही किसकी होगी.</p>
<p style="text-align: justify;">मध्य प्रदेश के सभी जिलों में लम्बे समय से एक ही जगह पर जमे हुए जिम्मेदार अधिकारियों के कारण गुणवत्ता नियंत्रण की प्रक्रिया प्रभावित हो चुकी है और नकली और अमानक आदान खाद, बीज, दवाई की बिक्री को बढ़ावा देकर किसानों को ठगा जा रहा है सरकार ऐसे अधिकारियों पर क्यूं मेहरबान है.</p>
<p style="text-align: justify;">हर साल रवि सीजन में 140 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर फसलों की बुवाई की जाती है. सरकार, कृषि विभाग और प्रशासन उर्वरक उपलब्धता, वितरण और गुण नियंत्रण व्यवस्था कराने में असफल है. जिन किसानों के बल पर प्रदेश को 7 बार कृषि कर्मण्य पुरुस्कार मिला, उन्हीं किसानों द्वारा खाद मांगने पर उन पर लाठियां क्यों बरसाई जा रही हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">नेनो यूरिया और नेनो डीएपी आदि को किसी भी उर्वरक के साथ जबर्दस्ती नहीं बेचा जा सकता है. ऐसा आदेश भारत सरकार द्वारा जारी किया गया है क्या कारण है कि मध्य प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के आदेश को धता बताते हुए नेनो यूरिया और नेनो डीएपी बेचने को उतारू है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कांग्रेस ने की ये मांग</strong><br />मध्य प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से डीएपी और जरुरी उर्वरकों की स्पेशल डिमांड करे.<br />जिन क्षेत्रों में बुवाई पहले हो रही है वहां खाद की व्यवस्था पहले कराएं.<br />रैक प्रबंधन और हैंडलिंग को बढ़ाये ट्रांसपोर्ट बढ़ाए ताकि खाद को गांवों/समितियों तक परिवहन किया जा सके.<br />केंद्र सरकार का आदेश की किसी भी उर्वरक पर टैगिंग तुरंत रोके फिर भी मध्य प्रदेश में सभी जगह उर्वरकों के साथ टैगिंग खुलेआम चल रही है.<br />उर्वरक का लाइव स्टॉक जिले स्तर डिस्प्ले किया जाए ताकि किसानों को उलब्धता की जानकारी रहे.<br />उर्वरकों के मूल्यों को कंट्रोल करने के लिए उर्वरक खरीदी केन्द्रों पर एक एक अधिकारी नियुक्त किए जाए ताकि किसानों से कोई भी अधिक मूल्य की वसूली ना करें.<br />जिन किसानों को उर्वरक नहीं मिल रहा है, उनको होने वाले उत्पादन नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा की जाए.<br />मूल्य के लिए निगरानी समिति का गठन हो, जिसमें किसान नेताओं को प्राथमिकता के साथ रखा जाए.</p>
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