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खर्चीले बच्चों के लिए खास फॉर्मूला, खेल-खेल में बन जाएगा लखपति, कहेगा- पापा हमें भी पैसे बचाना है! – childrens saving formula follow tips encourage your baby save money tuta


आपके बच्चे भी खूब खर्चीले हैं? अधिकतर बच्चे बाहर की चीजें खाने की जिद्द करते हैं, और माता-पिता को मजबूरी में पूरा करना होता है, मां-बाप चाहकर भी उसकी इस आदत को बदल नहीं पाते. लेकिन अब घबराने की जरूरत नहीं है. आज हम आपको कुछ आसान टिप्स (Tips) बताएंगे, जिसे फॉलो कर आप बच्चों की फिजूलखर्ची (Extravagance) पर लगाम लगा सकते हैं. 

दरअसल, हर माता-पिता की इच्छा होती है, उनके बच्चे बेहतर इंसान बनें. केवल अच्छी पढ़ाई-लिखाई से ही बेहतर भविष्य की कल्पना नहीं कर सकते. व्यवहारिक ज्ञान भी बेहद जरूरी है. अगर आपके बच्चे भी खर्चीले हैं तो आसानी से उनकी आदत बदल सकते हैं, साथ उन्हें सेविंग के लिए भी प्रेरित कर सकते हैं. 

अगर आपका सवाल है कि इतने छोटे बच्चे को आखिर सेविंग से क्या लेना-देना है? एक नजरिये से आपका सोचना बिल्कुल सही है. लेकिन आप जितनी छोटी उम्र से उन्हें बचत का व्यवहारिक ज्ञान देंगे. आगे भविष्य में वो वित्तीय तौर पर फैसले लेने के लिए सक्षम रहेंगे. अगर पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ आप अपने बच्चे से बचत को लेकर बात करेंगे, और अगर वो खेल-खेल में सेविंग शुरू कर देते हैं तो 25 साल की उम्र में अच्छी खासी रकम के मालिक हो जाएंगे. इसका बेहद सरल गणित है. जबकि आमतौर पर 25 साल की उम्र में युवा नौकरी की तलाश में होते हैं या फिर पहली नौकरी से जुड़े होते.

अगर आपका बच्चा 10 साल से कम उम्र की है, तो फिर उनपर बचत (Saving) को लेकर दबाव बिल्कुल न डालें. लेकिन अगर बच्चा 10 साल से बड़ा है तो फिर उसे धीरे-धीरे बचत के बारे जरूर बताएं, जब वो सेविंग के बारे में गहराई से जानेंगे तभी वो फिजूलखर्च रोकेंगे.

पहला तरीका
आप बच्चों को सरल शब्दों में निवेश के बारे में बता सकते हैं. उन्हें बताइए कि आपको रोजाना जो पॉकेटमनी के तौर पर पैसे मिलते हैं, वह महीनेभर में कुल कितने रुपये हो जाते हैं. ताकि उन्हें लगे कि वे हर महीने कितने रुपये खर्च कर रहे हैं. 

दूसरा तरीका

आप अपने बच्चों को महीनेभर की पॉकेटमनी एक ही बार में सौंप दें, फिर उनसे पूछें कि आप इनमें कितने रुपये बचा सकते हैं. बचत के चक्कर में वो हर दिन कम खर्च करेंगे. इस कदम से निवेश के प्रति बच्चे का झुकाव बढ़ता जाएगा. इसके लिए बच्चे को गुल्लक खरीद कर दे सकते हैं. 

तीसरा तरीका
बच्चे को सीधे ये मत कहें कि तुम ये मत खरीदो, यहां घूमने मत जाओ, बाहर की चीजों को मत खाओ. ऐसे कहने से शायद वो दबाव में आ जाएं और उनपर बुरा असर पड़ सकता है. आजकल तमाम ऐसे वीडियोज हैं, जिसमें बच्चों को खेल-खेल में बचत से जुड़ी जानकारियां दी जाती हैं.  

चौथा तरीका
एक और आसान तरीका है, जिस हर माता-पिता को अपने बच्चों पर आजमाना चाहिए, जब उन्हें लगे कि बच्चा बहुत ज्यादा फिजूलखर्च कर रहा है. ऐसे में माता-पिता को बच्चों से ऐसी चीजें खरीदने के बारे में बात करनी चाहिए, जिसमें बच्चों का ज्यादा लगाव रहता है. 

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आपके पास कार नहीं है, अगर अगले दो-तीन वर्षों में आप खरीदने की सोच रहे हैं तो उन्हें बताएं आप कार खरीदना (Car Buying) चाहते हैं, और इसके लिए सभी को पैसा जमा करना चाहिए. आपका ये कदम बच्चे को बचत के लिए उत्साहित करेगा और वे फिजूलखर्च की बजाय कार खरीदने के लिए पैसे जमा करने लगेंगे.

5-10 रुपये से बनेगा बड़ा फंड 

अब आइए बताते हैं कि बच्चा कैसे 25 साल का होते ही जेब खर्चे में कटौती कर बड़ी राशि जमा कर लेगा. अगर आपका 10 साल बच्चा है, और वो रोजाना 10 रुपये बचाता है, तो महीने में 300 रुपये हो जाएगा. फिर साल में यही फंड 3600 रुपये का जाएगा. अगर केवल 5 रुपये भी बचाकर गुल्लक में डालता है तो सालभर में 1800 रुपये हो जाएगा.

अगर सालाना 3600 रुपये बचाता है और उसे SIP करने पर 25 साल की उम्र होते ही उसके पास 2.52 लाख रुपये हो जाएगा. ये गणित सालाना 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से लगाया गया है, जबकि 15 फीसदी रिटर्न मिलने पर फंड बढ़कर 3.38 लाख रुपये हो जाएगा. अगर केवल 1800 रुपये सालाना बचाता है तो फिर 15 साल के बाद 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब 1.26 लाख रुपये, और 15 फीसदी रिटर्न के मुताबिक 1.69 लाख रुपये हो जाएगा.

यही नहीं, उम्र बढ़ने के साथ ही बच्चों के पॉकेटमनी की डिमांड भी बढ़ जाती है, अगर बचत भी उसी अनुपात में बढ़ता रहा तो फिर और भी बड़ी राशि जमा हो सकती है. यानी छोटे बच्चों को बचत की पाठशाला से जोड़कर आप उसे ज्ञानवान के साथ धनवान भी बना सकते हैं.

 



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