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कोचिंग सेंटर में हुई मौतों पर दिल्ली नगर निगम प्रमुख को हाई कोर्ट ने तलब किया



दिल्ली कोचिंग सेंटर हादसे में तीन छात्रों की मौत से पूरा देश गमगीन है. अब इस मामले में दाखिल याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है. कोर्ट में दाखिल याचिका में इस मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित करने की मांग की गई है. कोर्ट ने कहा कि आप हर राहगीर के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन एमसीडी अधिकारियों के खिलाफ आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. सरकारी वकील ने बताया कि कुछ नगर निगम अधिकारियों को उनकी चूक के कारण बर्खास्त कर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि आपने जूनियर अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों का क्या, जिन्हें निगरानी करनी चाहिए थी? कोर्ट ने कोचिंग सेंटर में 3 अभ्यर्थियों की मौत पर एमसीडी आयुक्त, पुलिस उपायुक्त और जांच अधिकारी को शुक्रवार को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया.

इमारतों से आप प्रकृति से लड़ सकते हैं, तो आप गलत हैं

एसीजे ने कहा कि कभी-कभी वरिष्ठ अधिकारियों को आना पड़ता है और स्वीकार करना पड़ता है. वे अपने एसी ऑफिस से बाहर नहीं निकल रहे हैं. अगर आपको लगता है कि इमारतों से आप प्रकृति से लड़ सकते हैं, तो आप गलत हैं. और यह क्या योजना है? एक दिन आप सूखे की शिकायत करते हैं और अगले दिन बाढ़ आ जाती है? याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि राजेंद्र नगर में जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण से भी ज्यादा बुरा है. साल 2019 में, एक आईआरएस, एक विदेशी की होटल में आग लगने से मृत्यु हो गई. उन्होंने अनाज मंडी मामला, मुखर्जी नगर अग्निकांड, मुनिरका घटना और बेबी केयर अग्निकांड का भी हवाला दिया.

हम जंगल में रह रहे हैं…

वकील ने कहा कि हम एक जंगल में रह रहे हैं जहां लोग आग और पानी से मर रहे हैं. वकील ने नगर निगम और अन्य स्थानीय अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए न्यायालय द्वारा पारित 2023 के आदेश का हवाला दिया. साथ ही कहा कि एक साल बीत चुका है लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया है. उन्होंने कहा कि इस साल 26 जून को राउज आईएएस के अवैध संचालन के बारे में एक पत्र भेजा गया था जिसके बाद दो रिमाइंडर भेजे गए लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया.

अगर समय पर कार्रवाई की जाती, तो उन तीन लोगों की जान बचाई जा सकती थी. यह देखने के लिए उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है कि अधिकारियों को कार्रवाई करने से किसने रोका. यह याचिका 2023 की है लेकिन अधिकारियों ने कोई जवाब दाखिल नहीं किया है. पटेल नगर में एक व्यक्ति की गेट पर करंट लगने से मौत हो गई. रिहायशी इलाकों में कई लाइब्रेरी बेसमेंट में चल रही हैं. एमसीडी चुप है, मुझे नहीं पता क्यों. कई मौजूदा कमिश्नरों की वहां संपत्तियां हैं. यह एक कड़वी सच्चाई है. एमसीडी और फायर डिपार्टमेंट जानबूझकर कार्रवाई नहीं कर रहा है. जिला स्तर के अधिकारी को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा

1. सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए.

2. शिकायत भेजी गई, 2 रिमाइंडर भेजे गए, कार्रवाई क्यों नहीं हुई? अगर अधिकारी नियुक्त किया गया था तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई? 3 युवा मर चुके हैं, सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

3. सभी कोचिंग सेंटरों की जांच के लिए जिला स्तरीय समिति गठित की जाए, 1 साल बीत चुका है और कुछ नहीं हुआ

इसके साथ ही वकील ने कहा कि कोर्ट पटेल नगर, करोल बाग, राजेंद्र नगर में बहुत सी बहुमंजिला इमारतें हैं. एक इमारत में करीब 50-60 छात्र रह रहे हैं. यहां तक ​​कि बेसमेंट में भी पीजी चल रहे हैं. हर इलाके में अवैध निर्माण को रोकने के लिए एमसीडी की ओर से नियुक्त व्यक्ति हैं, लेकिन वे काम नहीं कर रहे हैं.

कोर्ट ने पूछा ये हादसा क्यों हुआ

कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि ऐसी घटना आखिर क्यों हुई. जिस पर सरकारी वकील ने घटना से पहले की परिस्थितियों के बारे में कोर्ट को रूबरू कराया. उन्होंने कहा कि निरीक्षण की फाइलें अधिकारियों को तुरंत भेज दी गई थीं. सरकारी वकील ने इस हादसे को सामूहिक विफलता बताया. कोर्ट ने कहा कि जब आप नियमों को उदार बना रहे हैं, तो इस सदी पुराने बुनियादी ढांचे को पहले क्यों नहीं अपग्रेड किया गया? जिस पर एसीजे ने कहा कि इस शहर के बुनियादी ढांचे और आज की जरूरतों के बीच बहुत बड़ा अंतर है.

एमसीडी पर भी उठे सवाल

आप बहुमंजिला इमारतों की अनुमति दे रहे हैं, लेकिन कोई नाला नहीं है. आपने सीवेज को स्टॉर्म वॉटर ड्रेन में मिला दिया है, जिससे पानी उल्टा बह रहा है. अधिकारी दिवालिया हो चुके हैं. अगर आपके पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, तो आप बुनियादी ढांचे को कैसे अपग्रेड करेंगे? आप “मुफ्तखोरी संस्कृति” चाहते हैं. 

हम एमसीडी से प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए कहते हैं, वे कहते हैं कि 5 करोड़ रुपये से ऊपर की कोई भी परियोजना स्थायी समिति द्वारा अनुमोदित की जाएगी. लेकिन कोई समिति नहीं है. आपने इस शहर में इतने सारे अधिकारी बनाए हैं, हर कोई एक दूसरे पर आरोप मढ़ रहा है. कल, उन्होंने कहा कि एक योजना को कैबिनेट में जाना है. कैबिनेट मीटिंग की अगली तारीख क्या है, कोई नहीं जानता! जब आप 5 करोड़ से ज़्यादा की राशि मंजूर नहीं कर सकते, तो आप इस शहर को कैसे चलाएंगे? और दिल्ली पुलिस कहां है? कौन जाँच कर रहा है? वहां इतना पानी कैसे जमा हो गया?

याचिकाकर्ता के वकील ने साथ ही कहा कि अब 6 मंजिलें हैं छत, डबल बेसमेंट ये तो खतरा है. आईएएस सेंटर में नीचे भी एक बेसमेंट था. सरकारी वकील ने कहा कि 35 केंद्र बंद कर दिए गए. हम निरीक्षण कर रहे हैं. एसीजे ने कहा कि आपको पहले अपने बुनियादी ढांचे को सही करना होगा और फिर भवन निर्माण कानूनों को उदार बनाना होगा, लेकिन आप इसका उल्टा कर रहे हैं.

जस्टिस गेडेला ने सुनवाई में क्या कहा

जस्टिस गेडेला ने कहा कि हम समझते हैं कि सभी हितधारक इसके लिए जिम्मेदार हैं. हम सभी शहर का हिस्सा है. हम नाले को खोल भी रहे हैं और बंद भी कर रहे हैं. लेकिन फर्क यह है कि आप शहर का निर्माण कर रहे हैं. एसीजे ने कहा कि यह एक ऐसी रणनीति है जिसमें किसी व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता. हमें यह पता लगाना होगा कि एक अधिकारी का अधिकार क्षेत्र कहां समाप्त होता है और दूसरे अधिकारी की जिम्मेदारी कहां से शुरू होती है. अगर जांच अधिकारी ठीक से जांच नहीं करता है, तो हम इसे किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंप सकते हैं.

हम इस मामले में जिम्मेदारी तय करने के लिए आदेश पारित करेंगे. यह बुनियादी ढांचे का टूटना है और इसे किसी वैधानिक तंत्र में जाना चाहिए. बहुत सारे अधिकारी दुर्भाग्य से विपरीत उद्देश्यों के लिए काम कर रहे हैं. एक-दूसरे पर आरोप लगाने का खेल चल रहा है. दिल्ली के पूरे प्रशासनिक ढांचे की फिर से जांच की जानी चाहिए. सरकार के आवास मामलों के विभाग ने जवाब मांगा है. एसीजे ने कहा कि ऐसा हो सकता है, लेकिन वे प्रशासनिक अव्यवस्था का ख्याल कैसे रखेंगे?

सरकार ने कहा कि स्थानीय कानूनों के भीतर संघर्ष हैं. डीजेबी अधिनियम कहता है कि यह गीले कचरे के लिए जिम्मेदार है. लेकिन एमसीडी अधिनियम कहता है कि निश्चित गहराई के नाले इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं. इसलिए, बहुत कुछ किया जाना है. एमसीडी के वरिष्ठ अधिकारियों को दौरा करना होगा, तभी बदलाव आएगा. कृपया कल तक हलफनामे में बताएं कि आपने क्या कार्रवाई की है.

कोर्ट ने दिया ये आदेश

कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी प्रासंगिक फाइलें कल हमारे समक्ष प्रस्तुत की जाएं. एमसीडी निदेशक न्यायालय में उपस्थित रहें. दिल्ली पुलिस को प्रतिवादी बनाया जाए. सरकारी वकील ने कहा कि यदि इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई हो सकती है, जिस पर कोर्ट भी सहमत है. इसके साथ ही कोचिंग सेंटर में 3 अभ्यर्थियों की मौत पर कोर्ट ने एमसीडी आयुक्त, पुलिस उपायुक्त और जांच अधिकारी को शुक्रवार को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया.




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