कश्मीर घाटी को छोड़ जम्मू के इलाकों में हमलों को क्यों अंंजाम दे रहे आतंकी? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
नई दिल्ली :
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में पिछले कुछ दिनों में आतंकी हमलों का जैसे एक सिलसिला चल रहा है. बीते दो दशक से जिन आतंकी संगठनों को हम झेल रहे थे और पीछे धकेल रहे हैं, वह बार-बार सामने आ रहे हैं. अनुच्छेद 370 हटाने के बाद बार-बार यह कहा जा रहा था कि घुसपैठ खत्म हुई है और आतंकवाद ढलान पर है, लेकिन यह हमले तो कुछ और ही बता रहे हैं. साथ ही इन आतंकी हमलों का भूगोल बदल गया है. पहले पीर पंजाल के उत्तर में इस तरह के हमले होते थे और कुलगाम, शोपियां, अनंतनाग आतंक के गढ़ माने जाते थे. हालांकि अब आतंकी भूगोल पीर पंजाल के दक्षिण में दिखाई दे रहे हैं. इस हिस्से में जम्मू के कठुआ, रियासी और डोडा शामिल हैं.
बीते कुछ दिनों में कई आतंकी हमले
बीते एक महीने के आतंकी हमलों और सुरक्षाबलों की कार्रवाई को देखें तो 9 जून को 10 श्रद्धालु रियासी में आतंकियों की गोलियों का निशाना बने थे. 26 जून को डोडा में तीन आतंकी सुरक्षाबलों के सर्च ऑपरेशन में मारे गए और 7 और 8 जुलाई को सुरक्षाबलों द्वारा छह आतंकियों को कुलगाम में मार गिराया गया. 8 जुलाई को सेना के काफिले पर एक बार फिर हमला हुआ और पांच सेना के जवान शहीद हुए और अन्य पांच गंभीर रूप से घायल हैं. कुलगाम में जिन आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया वह हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़े थे. वहीं कठुआ में जिन आतंकियों ने हमला किया वह कश्मीर टाइगर्स से जुड़े बताए जा रहे हैं, यह जैश-ए-मोहम्मद का एक हिस्सा है. रियासी के हमले के पीछे लश्कर के लोग बताए जा रहे थे.
जम्मू कश्मीर में करीब 150 आतंकी सक्रिय
अब तक यह कहा जा रहा था कि आतंकवाद को स्थानीय समर्थन नहीं है बाहर के आतंकी हमले कर रहे हैं लेकिन कुलगाम की मुठभेड़ ने इस राय को भी सवालों के घेरे में ला दिया है सुरक्षाबलों का यह आकलन है कि जम्मू-कश्मीर में करीब 150 आतंकी सक्रिय हैं, जिनमें से लगभग 80 पाकिस्तान से एक्सपोर्ट किए हुए आतंकी हैं और 50 सिर्फ पिछले एक साल में सीमा पार से आए हैं. भारत ने इसे लेकर चेतावनी भी दी है. दो दिन पहले भारतीय रक्षा सचिव ने खुलकर कहा कि कठुआ के शहीदों की शहादत का बदला लिया जाएगा जाहिर है कि यह पैगाम पाकिस्तान के लिए है.
अब पीर पंजाल के दक्षिण में हमले कर रहे आतंकी
हमारी सहयोगी नीता शर्मा के मुताबिक, आतंकवादी पीर पंजाल के उत्तर में हमलों को अंजाम देते थे. कुलगाम, शोपिया, अनंतनाग में जाकर हमले करते थे. हालांकि अब वो पीर पंजाल के दक्षिण में हमले कर रहे हैं . इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है वो ये है कि इन इलाकों में सुरक्षाबल कम है. उन्होंने कहा कि फौज को इन इलाकों से निकालकर डोकलाम या गलवान जैसे इलाकों में भेजा गया है. यहां पर दूर-दूर तक सुरक्षाबल दिखाई नहीं पड़ते हैं. यहां पर कई ऐसे इलाके हैं, जहां पर पुलिस या फौज की मौजूदगी नहीं है.
उन्होंने कहा कि जितने भी आतंकी ये सभी हार्डकोर बैटल ट्रेंड हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि सेना और बीएसएफ पिछले एक साल से कह रहे थे कि जीरो घुसपैठ हुई है, लेकिन हमने देखा है कि अब जिस तरह से हादसे हो रहे हैं वो बता रहे हैं कि विदेश में प्रशिक्षित आतंकी भारत की सीमा में आ गए हैं.
आतंकियों को तलाशन में क्यों आ रही है दिक्कत
उन्होंने बताया कि आतंकी लगातार एक जगह से दूसरी जगह आ-जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस इलाके में प्राकृतिक गुफाएं हैं और काफी घना जंगल है. इसलिए सुरक्षाबलों के सामने काफी दिक्कतें आ रही हैं. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय द्वरा यहां पर सिक्योरिटी ऑडिट भी हुआ था, जिससे पता चला था कि कहां पर कमी हैं और कहां पर और सिक्योरिटी लगाने की जरूरत है.
इसलिए पीर पंजाल के दक्षिण में हमले कर रहे आतंकी
लेफ्टिनेंट जनरल अता हसनैन (रिटायर्ड) ने कहा कि कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाए गए हैं और वहां पर न सिर्फ आतंकियों को मारा गया है, बल्कि आतंकियों के नेटवर्क को तोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि इस तरह के नेटवर्क को तोड़ने के लिए 2017 के बाद एनआईए ने काफी छापेमारी की थी, जिससे यह नेटवर्क बेअसर हो गए थे. उसके बाद 5 अगस्त 2019 के बाद फौज की पकड़ कश्मीर में बहुत मजबूत हो गई थी. उन्होंने कहा कि घाटी में आतंकियों का ऑपरेट करना बेहद मुश्किल हो गया है, इसलिए अब वो पीर पंजाल के दक्षिण में कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब हमें यहां पर ग्रिड को और मजबूत करना होगा. इसका मतलब है कि हमें उनके नेटवर्क को तोड़ना होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि इंटेलीजेंस को मजबूत बनाना होगा.
उन्होंने कहा कि तकरीबन 25 से 30 आतंकी इस इलाके में तकरीबन 150 से 200 किलोमीटर के इलाके में छोटी-छोटी टुकड़ियों में फैले हुए हैं. इन्हें यहां पर ओवरग्राउंड वर्कर्स के नेटवर्क के जरिए सपोर्ट मिलता है.
बौखला गया है पाकिस्तान : सीवाच
मेजर जनरल अश्विनी सीवाच (रिटायर्ड ) ने कहा कि कश्मीर घाटी में अमन और शांति का दौर आया है. वहीं पीओके में आज लोग सड़कों पर उतरकर आरपार की लड़ाई लड़ रहे हैं. पीओके के लोग कहते हैं कि हम भारत में मिलना चाहते हैं. वहां पर चक्काजाम और शटर डाउन स्ट्राइक हो रही है. इससे पाकिस्तान बौखला गया है. कश्मीर को लेकर उसका गेम प्लान खत्म होने जा रहा है. ऐसे में वो दिखाना चाहता है कि कश्मीर से अभी भी आतंकवाद नहीं गया है और इसीलिए इन्होंने अब साउथ ऑफ पीर पंजाल में आतंकियों को सक्रिय करने की कोशिश की है.
उन्होंने कहा कि यह यह सच्चाई है कि नॉर्थ ऑफ पीर पंजाल जो कश्मीर घाटी है, उसमें सुरक्षाबलों की जबरदस्त पकड़ है. उन्होंने कहा कि जो आतंकी संगठन हैं, उनकी लीडरशिप खत्म हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि कोई भी आतंकवाद बिना स्लीपर सेल के ऑपरेट नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि आतंकवाद का स्रोत पाकिस्तान में है. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच 2021 में हुए सीजफायर को भी खत्म करना चाहिए.
ये भी पढ़ें :
* जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में पुलिस चौकी पर आतंकी गोलीबारी के बाद पुलिस ने बड़ा हमला टाला
* हकीम का हाथ… शिवखोड़ी मंदिर से लौट रहे तीर्थयात्रियों पर हुए हमले पर NIA का खुलासा
* “हमले से कुछ देर पहले की थी वीडियो कॉल…” कठुआ में शहीद हुए जवानों के अपनों की यादें