'आशिकी 2' से लेकर 'रामलीला' तक इन फिल्मों का क्लाइमेक्स बदलना चाहते थे दर्शक
फिल्म का असली मजा तो इसके क्लाइमेक्स में ही छुपा होता है. अगर क्लाइमेक्स मजेदार हो तो पूरी फिल्म सफल रहती है. वहीं कई बार कुछ फिल्मों का क्लाइमेक्स ऐसा दिखाया गया, जिसे देख आप मन ही मन ये सोचने को मजबूर हुए होंगे कि काश हम इस अंत को बदल पाते, काश कि क्लाइमेक्स में कुछ चेंज किया जा सकता. आज हम कुछ ऐसी ही फिल्मों की बात करने जा रहे हैं, जिनके क्लाइमेक्स को पसंद नहीं किया गया और अगर दर्शक को मौका मिलता तो वे इन फिल्मों की डिफरेंट एंडिंग करते.
आशिकी 2
राहुल (आदित्य रॉय कपूर) शराब का आदी है और आरोही (श्रद्धा कपूर) उसे सुधारने की कोशिश करती है. लेकिन आखिर में राहुल परिस्थितियों का सामना करने की बजाए, जिंदगी का साथ छोड़ जाता है. इस कहानी का अंत अधिकतर दर्शकों को पसंद नहीं आया, लोग क्लाइमेक्स में राहुल और आरोही को साथ देखना चाहते थे.
कॉकटेल
इस फिल्म में दीपिका पादुकोण को वेरोनिका नाम की लड़की के किरदार में दिखाया गया है, जो मॉर्डन और बिंदास है, सैफ उसके साथ रिश्ते में रहते हैं, लेकिन वेरोनिका की ही रूम मेट मीरा के प्यार में पड़ जाते हैं. मीरा यानी डायना पेंटी एक सीधी सादी लड़की है. इस फिल्म के क्लाइमेक्स में दर्शक दीपिका और सैफ को साथ देखना अधिक पसंद करते.
राम लीला
रणवीर सिंह अभिनीत राम और दीपिका पादुकोण अभिनीत लीला का दुखद अंत दर्शकों को कुछ खास पसंद नहीं आता. संजय लीला भंसाली की इस फिल्म को रोमियो और जूलियट की कहानी पर बनाया गया. लेकिन अच्छा होता अगर आखिर में दोनों एक हो जाते और उनके परिवार इस रिश्ते को अपना लेते.
काई पो चे
सुशांत सिंह राजपूत के किरदार ईशान को अंत में मरना पड़ा. भले ही यह फिल्म चेतन भगत की किताब ‘थ्री मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ’ से प्रेरित थी, लेकिन फिल्म के क्लाइमेक्स में बदलाव किया जा सकता था. ओमी का हृदय परिवर्तन हो सकता था और उसे अहसास होता कि राजनीति और धर्म के बारे में उनके विचार गलत थे.