yogi adityanath government not appointing permanent DGP in UP
UP News: सुप्रीम कोर्ट ने स्थायी डीजीपी की नियुक्ति को लेकर उत्तर प्रदेश समेत सात राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जिसके बाद इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो प्रदेश को पिछले ढाई सालों से स्थायी डीजीपी नहीं मिल पाया है. यूपी में मुकुल गोयल 2022 तक पूर्णकालिक डीजीपी रहे थे. तब से लगातार चार बार सिर्फ कार्यवाहक डीजीपी ही बनाए गए हैं.
उत्तर प्रदेश देश की सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य हैं ऐसे में प्रदेश की क़ानून व्यवस्था को संभालने के लिए स्थायी डीजीपी का होना आवश्यक है बावजूद इसके पिछली चार बार से कार्यवाहक डीजीपी ही पूरे प्रदेश की व्यवस्था को संभाले हुए हैं. इस बारे में दैनिक जागरण से बात करते हुए पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने इसमें देरी की वजह बताई.
पिछले ढाई साल से नहीं मिला पूर्णकालिक डीजीपी
पूर्व डीजीपी ने कहा कि कई बार डीजीपी के चयन के लिए संघ लोक सेवा आयोग को पैनल के नाम भेजने और उस प्रक्रिया को करने में विलंब होने की वजह से सरकार कार्यवाहक डीजीपी की व्यवस्था करती है. राज्य सरकार की अपनी जरुरतें भी होती है. हालांकि इस राज्य सराकर क्या पक्ष रखती है ये देखने वाली बात होगी.
साल 2017 से यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनका पार्टी की सरकार है. इन सात सालों में अब तक आठ डीजीपी बने हैं. सीएम योगी ने जब यूपी की कमान संभाली को सुलखान सिंह डीजीपी बने थे वो 31 दिसंबर 2017 तक डीजीपी रहे. उनके बाद ओपी सिंह ने 23 जनवरी 2018 से डीजीपी की कमान संभाली वो इस पद पर 31 जनवरी 2020 तक रहे.
ओपी सिंह के बाद 31 जनवरी 2020 से 30 जून 2021 तक हितेंद्र चंद्र अवस्थी यूपी के डीजीपी रहे. उनके बाद 2 जुलाई 2021 से 11 मई 2022 तक मुकुल गोयल यूपी की डीजीपी बने. उन्हें कुछ गंभीर आरोपों के चलते जल्दी ही पद से हटा दिया गया था. मुकुल गोयल के बाद से अब तक यूपी को पूर्णकालिक डीजीपी नहीं मिल पाया है.
पिछले ढाई सालों में देवेंद्र सिंह चौहान, आरके विश्वकर्मा, विजय कुमार और अब प्रशांत कुमार यूपी के कार्यवाहक डीजीपी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
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