Yogendra Yadav and Suhas Palshikar objects on include their name in new NCERT textbooks
शिक्षाविद योगेंद्र यादव और सुहास पलशीकर ने सोमवार (17 जून, 2024) को राष्ट्रीय शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद (NCERT) की टेक्सट बुक में उनका नाम होने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने एनसीईआरटी को पत्र लिखकर कहा कि अगर उनके नाम वाली ये पुस्तकें तुरंत नहीं हटाई जाती हैं तो वह कानूनी सहारा लेंगे.
सुहास पलशीकर और योगेंद्र यादव ने कहा है कि टेक्सबुक की समीक्षा से उन्होंने खुद को अलग कर लिया था. उन्होंने अपने पत्र में कहा कि वे नहीं चाहते कि एनसीईआरटी उनके नाम की आड़ लेकर छात्रों को राजनीति विज्ञान की ऐसी पाठ्यपुस्तकें दे, जो राजनीतिक रूप से पक्षपाती, अकादमिक रूप से असमर्थ और शैक्षणिक रूप से अनुपयुक्त हैं. सुहास पलशीकर और योगेंद्र यादव राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों के लिए मुख्य सलाहकार थे.
उन्होंने पिछले साल कहा था कि पाठ्यपुस्तकों की सामग्री को घटाने की कवायद ने पुस्तकों को अकादमिक रूप से अनुपयुक्त बना दिया और पुस्तकों से उनके नाम हटाए जाने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि किताबें पहले उनके लिए गौरव का स्रोत थीं जो अब शर्मिंदगी का सबब बन गई हैं. हाल में बाजार में उपलब्ध हुए पाठ्यपुस्तकों के संशोधित प्रारूप में अब भी पलशीकर और योगेंद्र यादव के नाम का उल्लेख मुख्य सलाहकार के रूप में किया गया है.
पत्र में कहा गया है, ‘चुनिंदा तरीके से सामग्री हटाने की पूर्व की परंपरा के अलावा, एनसीईआरटी ने महत्वपूर्ण संशोधनों और पुनर्लेखन का सहारा लिया है जो मूल पाठ्यपुस्तकों की भावना के अनुरूप नहीं है… एनसीईआरटी को हममें से किसी से परामर्श किए बिना इन पाठ्यपुस्तकों में छेड़छाड़ करने का कोई नैतिक या कानूनी अधिकार नहीं है, लेकिन हमारे स्पष्ट रूप से मना करने के बावजूद हमारे नाम के साथ इन्हें प्रकाशित कर दिया गया.’
इसमें कहा गया है, ‘किसी भी रचना के लेखक होने के किसी व्यक्ति के दावे के बारे में तर्क और बहस की जा सकती है, लेकिन यह आश्यर्च की बात है कि लेखक और संपादक के नाम ऐसी रचना के साथ जोड़े गए हैं जिन्हें अब वे अपना नहीं मान रहे हैं.’ एनसीईआरटी राजनीति विज्ञान की 12वीं कक्षा की संशोधित पाठ्यपुस्तक से जुड़े विवाद एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि इसमें बाबरी मस्जिद का उल्लेख तीन-गुंबद वाले ढांचे के तौर पर किया गया है.
टेक्स्ट बुक्स से हाल ही में हटाई गई सामग्री में शामिल हैं- गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक भारतीय जनता पार्टी (BJP) की रथ यात्रा, कार सेवकों की भूमिका, बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मद्देनजर सांप्रदयिक हिंसा, बीजेपी शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन और अयोध्या में जो कुछ हुआ उस पर बीजेपी का खेद जताना. पलशीकर और यादव के पत्र में कहा गया है, ‘हमारे नामों के साथ प्रकाशित की गईं इन पुस्तकों के नए संस्करण को तुरंत बाजार से वापस लिया जाए… यदि एनसीईआरटी तुरंत ऐसा नहीं करता है तो हम कानूनी उपाय का सहारा लेने को बाध्य होंगे.’
यादव और पलशीकर ने जब पाठ्यपुस्तक से खुद को अलग किया था, तो एनसीईआरटी ने कॉपीराइट स्वामित्व के आधार पर इसमें बदलाव करने के अपने अधिकार का उल्लेख किया और कहा था कि ‘‘किसी एक सदस्य द्वारा इससे जुड़ाव खत्म करने का सवाल ही नहीं उठता’’ क्योंकि पाठ्यपुस्तकें सामूहिक प्रयास का परिणाम हैं.’
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