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Will The Legal Protection Of MPs/MLAs Who Take Notes In Exchange For Votes In The House Be Saved Or Lost? Supreme Court Will Decide Today – सदन में वोट के बदले नोट लेने वाले सांसदों/ विधायकों का कानूनी संरक्षण बचेगा या जाएगा? सुप्रीम कोर्ट करेगा आज फैसला


सदन में वोट के बदले नोट लेने वाले सांसदों/ विधायकों का कानूनी संरक्षण बचेगा या जाएगा? सुप्रीम कोर्ट करेगा आज फैसला

5 अक्टूबर 2023 को सात जजों के संविधान पीठ ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था.

देश की राजनीति पर बड़ा असर डालने वाला फैसला आज आएगा. सुप्रीम कोर्ट में सात जजों का संविधान पीठ यह फैसला सुनाएगा. सदन में वोट के बदले नोट लेने वाले सांसदों/ विधायकों का कानूनी संरक्षण बचेगा या जाएगा? क्या सदन में विशेषाधिकार का कवच काम करेगा? सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि सदन में वोट के लिए रिश्वत में शामिल सांसदों/विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई से छूट दी जाए या नहीं. 

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CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस पर फैसला सुनाएगी. 5 अक्टूबर 2023 को सात जजों के संविधान पीठ ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था. दो दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था. 

इससे पहले 20 सिंतबर को सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया था. सदन में वोट के लिए रिश्वत में शामिल सांसदों/विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई से छूट पर फिर से विचार करने को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया था. पांच जजों के संविधान पीठ ने 1998 के पी वी नरसिम्हा राव मामले में अपने फैसले पर फिर से विचार करने का फैसला लिया था. मामले को सात जजों के संविधान पीठ को भेजा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह राजनीति की नैतिकता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाला एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. कोर्ट यह तय करेगा कि अगर सांसद या विधायक सदन में मतदान के लिए रिश्वत लेते हैं तो क्या तब भी उस पर मुकदमा नहीं चलेगा?

1998 का नरसिम्हा राव फैसला सांसदों को मुकदमे से छूट देता है. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने छूट निर्धारित करने के लिए एक कार्यात्मक परीक्षण का सुझाव दिया और कहा कि यह परिणाम के डर के बिना, एक विधायक/ सासंद के कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए आवश्यक बोलने या मतदान के कार्यों तक विस्तारित हो सकता है. दरअसल अनुच्छेद 105(2) संसद सदस्यों (सांसदों) को संसद या किसी संसदीय समिति में उनके द्वारा कही गई किसी भी बात या दिए गए वोट के संबंध में अभियोजन से छूट प्रदान करता है. जबकि अनुच्छेद 194(2) विधान सभा सदस्यों (विधायकों) को समान सुरक्षा प्रदान करता है.



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