Why the student raise the issue of Palestine genocide during the convocation at IIT Madras | IIT-Madras convocation: IIT-मद्रास के दीक्षांत समारोह में छात्र ने उठाया फिलिस्तीन का मुद्दा, कहा
IIT-Madras: शुक्रवार (19 जुलाई, 2024) को आईआईटी-मद्रास में 61वें दीक्षांत समारोह के दौरान इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध का जिक्र किया गया. आईआईटी-मद्रास के छात्र धनंजय बालकृष्णन (Dhananjay Balakrishnan) ने फिलिस्तीन में चल रहे सामूहिक नरसंहार के खिलाफ आवाज उठाई और कहा कि इसका कोई अंत नहीं दिखाई दे रहा. बता दें कि धनंजय बालकृष्णन को इस कार्यक्रम में पुरस्कृत किया गया.
संबोधन के दौरान धनंजय बालकृष्णन ने कहा, अगर मैं मंच का इस्तेमाल कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए नहीं करता तो मैं अपने और अपनी हर चीज के साथ अन्याय करूंगा. फिलिस्तीन (Israeli–Palestinian conflict) में सामूहिक नरसंहार जारी है जिसमें बड़ी संख्या में मासूम अपनी जान गंवा रहे हैं. इस नरसंहार का कोई अंत नहीं दिखाई दे रहा है.’
गुस्से की वजह क्या है?
धनंजय बालकृष्णन (IIT-Madras student) बोले कि हमें इजरायल-फिलिस्तीन की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करनी चाहिए क्योंकि STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग औरर मैथ्स) का बड़े पैमाने का इस्तेमाल इजरायल के गुप्त उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है और ये एक गंभीर चिंता का विषय है.
कंपनियों पर किया वार
उन्होंने कहा, ‘इंजीनियरिंग का छात्र होने के नाते मौजूदा वक्त में हम शीर्ष-स्तरीय नौकरी पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं जो काफी लाभ प्रदान कर सकती है लेकिन ये तकनीकी दिग्गज कंपनियां आज हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित कर रही हैं. इनमें से कई बड़ी और नामी कंपनियां फिलिस्तीन के खिलाफ युद्ध में भी शामिल हैं. ये कंपनियां कहीं न कहीं इजरायल को तकनीकी सहायता प्रदान कर रही हैं.’
‘मेरे पास कोई उत्तर नहीं है’
धनंजय बालकृष्णन ने कहा, ‘इस समस्या का मेरे पास भी कोई समाधान नहीं है और न ही कोई उत्तर है लेकिन ये जानता हूं कि बतौर इंजीनियर ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने काम के परिणामों के प्रति जागरुक रहें. हमें अपनी शक्तियों की स्थिति की भी सही से जांच करने की जरुरत है. हमें ये समझते रहना होगा कि बतौर जिम्मेदार व्यक्ति हम उत्पीड़न झेलने वाले समाज और लोगों के प्रति क्या कर सकते हैं.’ धनंजय बालकृष्णन ने बाकी छात्रों से भी आग्रह किया कि वे दुखी लोगों को बाहर निकालने के लिए लगातार प्रयास करें.