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Haldwani Violence: उत्तराखंड का हल्द्वानी हिंसा की आग में जल रहा है. गुरुवार को अवैध रूप से बने मदरसे को ढहाए जाने से नाराज स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक दस्ते पर हमला बोल दिया और इस हमले ने बाद में हिंसा का रूप ले लिया. अब तक इस हिंसा में छह लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग जख्मी हैं, जिनमें भारी संख्या में पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. इस हिंसा के साथ ही टूरिज्म के नक्शे पर चमकने वाले इस खूबसूरत पहाड़ी शहर के माथे पर कभी न मिट पाने वाला दाग लग गया.
2022 में उत्तराखंड में कितने दंगे हुए?
NCRB के डेटा की मानें तो उत्तराखंड उन राज्यों में शामिल रहा है, जहां हिंसा और सांप्रदायिक दंगे पिछले काफी समय से नहीं देखे गए हैं. 2014 के बाद से उत्तराखंड में एक भी व्यक्ति की मौत सांप्रदायिक दंगों में नहीं हुई है. 2022 में जारी किए गए NCRB के डेटा पर नजर डालें तो उत्तराखंड में साल 2022 में कुल 915 दंगे दर्ज किए गए, जिनमें से मात्र एक सांप्रदायिक दंगा था, उसमें भी किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है, लेकिन अब जब 2024 की NCRB की लिस्ट आएगी तो ये आंकड़ा डराने वाला हो सकता है, जिसकी वजह हल्दवानी में हुई ये हिंसा होगी.
2022 में देश में हुए कुल 37,836 दंगे
साल 2022 के NCRB के आंकड़ों की मानें तो 2022 में देशभर में दंगों के कुल 37,816 मामले दर्ज किए गए. 2021 में इनकी संख्या 41,954 और 2020 में 37,816 थी. इन आंकड़ों के मुताबिक साल दर साल दंगों की संख्या में तो कमी जरूर आई है. 2022 में दंगों के 667 मामलों में पुलिस या प्रशासनिक कर्मचारी पर हमला किया गया. सबसे ज्यादा हिंसा के मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए थे. 2022 में महाराष्ट्र में हिंसा के 8,218 मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से 28 सांप्रदायिक और धार्मिक दंगे थे, वहीं 75 दंगों की वजह राजनीतिक मुद्दे रहे. 25 दंगे जातिगत कारणों से हुए.
महाराष्ट्र, बिहार, यूपी में सबसे ज्यादा दंगे
महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा दंगों की लिस्ट में बिहार दूसरे नंबर पर रहा. साल 2022 में बिहार में दंगों के 4736 मामले दर्ज किए गए, इनमें से 60 की वजह सांप्रदायिक या धार्मिक कारण रहे. देश में तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा दंगे 2022 में उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए. साल 2022 में यूपी में 4,478 मामले दंगों के दर्ज किए गए. इनमें एक भी दंगे का कारण सांप्रदायिक या धार्मिक नहीं था.
आखिर हल्द्वानी में क्यों भड़की हिंसा?
अधिकारियों का कहना है कि सरकारी जमीन पर बने मदरसे को गिराए जाने के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस पर पथराव किया और वाहनों को आग लगा दी. SSP प्रह्लाद मीणा के अनुसार, मदरसे को ढहाए जाने से पहले निवासियों को सूचना दी गई थी. मदरसे के आस-पास रहने वाले लोगों ने पुलिसकर्मियों और पत्रकारों पर पथराव किया, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में भी आग लगा दी.
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