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Which Item Has Been Sourced From Where In The Construction Of The New Parliament House – जानिए किस जगह से लाया गया कौन सा सामान, बेजोड़ कारीगरी और नायाब वस्तुओं से बना है नया संसद भवन


जानिए किस जगह से लाया गया कौन सा सामान, बेजोड़ कारीगरी और नायाब वस्तुओं से बना है नया संसद भवन

देश का नया संसद भवन (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई विपक्षी दलों के बहिष्कार के बीच आज देश के नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे हैं. पीएम मोदी ने मोदी ने कहा था कि नया संसद भवन प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित करेगा. उन्होंने नये परिसर का वीडियो भी साझा किया था. त्रिभुजाकार वाले चार मंजिला संसद भवन का निर्मित क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर है. भवन के तीन मुख्य द्वार हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार. इसमें वीआईपी (अति विशिष्ट व्यक्तियों), सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं.

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नए संसद भवन में, दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की संयुक्त बैठक में 1,280 सदस्य शामिल हो सकेंगे. संसद का पुराना भवन 96 साल पुराना है, जिसका निर्माण कार्य 1927 में पूरा हुआ था. तत्कालीन वाइसरॉय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को इसका उद्घाटन किया था. अभिलेखीय दस्तावेजों और पुरानी दुर्लभ तस्वीरों के मुताबिक, इस भव्य इमारत के उद्घाटन के लिए 18 जनवरी 1927 को एक भव्य आयोजन किया गया था. उस समय इसे ‘काउंसिल हाउस’ के रूप में जाना जाता था. नए संसद भवन लगभग पूरे भारत की खास कारीगरी से भी रूबरू कराएगा.

नए संसद भवन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं को किस जगह से लाया गया है, यहां जानिए

  • नए संसद भवन निर्माण में इस्तेमाल की गई ‘फ्लाई ऐश’ की ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थीं.
  • पीतल के काम के लिए सामग्री और ‘पहले से तैयार सांचे’ गुजरात के अहमदाबाद से लाए गए थे.
  • नए संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए ठोस मिश्रण बनाने के वास्ते हरियाणा के चरखी दादरी में निर्मित रेत या ‘एम-रेत’ का इस्तेमाल किया गया.
  • ‘एम रेत’ एक प्रकार की कृत्रिम रेत है, जिसे बड़े सख्त पत्थरों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में तोड़कर बनाया जाता है और जो नदी की रेत से अलग होती है.
  • नए संसद में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी भारत की संस्कृतिक विविधता को दर्शाती है.
  • तमिलनाडु से संबंध रखने वाले और चांदी से निर्मित एवं सोने की परत वाले ऐतिहासिक राजदंड (सेंगोल) को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा.
  • संसद भवन के निर्माण में उपयोग की गई सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई है, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया है.
  • हरा पत्थर उदयपुर से, तो अजमेर के पास लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से मंगवाया गया है.
  • ‘फाल्स सीलिंग’ के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है, जबकि भवन के लिए फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था.
  • इमारत पर लगी पत्थर की ‘जाली’ राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा से मंगवाई गई थी.
  • अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से लाई गई थी, जबकि संसद भवन के बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री को मध्य प्रदेश के इंदौर से मंगाया गया था.
  • पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा किया गया था. वहीं, पत्थरों को कोटपूतली, राजस्थान से लाया गया था.



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