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What is Article 371 May Be implemented in Ladakh Which States Already Has This Know Amit Shah Remark On Ladakh


Protest For Statehood In Ladakh: केंद्र सरकार लद्दाख में संविधान के अनुच्छेग 371 के प्रावधानों को लागू कर सकती है. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया था, जिसमें एक जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख है. लद्दाख में विधानसभा नहीं है. 

स्थानीय लोग पूर्वोत्तर राज्यों की तरह संविधान की छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को राज्य का दर्जा और आदिवासी दर्जा दिए जाने की मांग उठा रहे हैं. इसके अलावा, स्थानीय लोगों को लिए नौकरी में आरक्षण और लेह और कारगिल जिलों के लिए संसदीय सीट की मांग भी की जा रही हैं. लोग इसके लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ हाल में ही एक बैठक की, जिसमें उन्होंने क्षेत्र में अनुच्छेद 371 जैसी सुरक्षा बढ़ाने की पेशकश की.

क्या है अनुच्छेद 371?

अनुच्छेद 371 और इसके क्लॉज विशिष्ट राज्यों को विशेष प्रावधान प्रदान करते हैं, जो अक्सर कुछ धार्मिक और सामाजिक समूहों को प्रतिनिधित्व देने के लिए और इन समूहों को राज्य और केंद्र सरकारों के हस्तक्षेप के बिना अपने मामलों पर स्वायत्तता का प्रयोग करने की अनुमति देते हैं.

लद्दाख में लागू हुआ अनुच्छेद 371 तो क्या बदल जाएगा?

माना जा रहा है कि गृह मंत्री शाह ने लेह एपेक्स बॉडी (एबीएल) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) से कहा है कि नौकरियों, जमीन, और संस्कृति से संबंधित उनकी चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन सरकार लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल नहीं करेगी. अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधान लद्दाख की स्थानीय आबादी को सुरक्षा प्रदान करने की अनुमति देंगे.

किन राज्यों में पहले से अमल में अनुच्छेद 371?

संविधान जब लागू हुआ तो अनुच्छेद 371 के तहत महाराष्ट्र और गुजरात में कुछ क्षेत्रों के समग्र विकास और सरकारी खर्च की जरूरत का आकलन करने के लिए विकास बोर्ड के निर्माण की आवश्यकता थी. अनुच्छेद 371 ने महाराष्ट्र और गुजरात को विशेष प्रावधान दिए. अनुच्छेद 371 के तहत अन्य राज्यों से संबंधित क्लॉज को बाद में संशोधनों के जरिए शामिल किया गया.

अनुच्छेद 371-ए के तहत नगालैंड के लिए विशेष प्रावधान

अनुच्छेद 371-ए के तहत नगालैंड से संबंधित प्रावधान शामिल हैं. संसद ऐसे कानून नहीं बना सकती जो नागाओं की सामाजिक, धार्मिक या प्रथागत कानूनी प्रथाओं या राज्य विधानसभा की सहमति के बिना भूमि के हस्तांतरण और स्वामित्व को प्रभावित करते हैं. अनुच्छेद 371-जी के तहत मिजोरम के मिजोवासियों को भी इसी तरह की सुरक्षा प्रदान की गई है.
 
अनुच्छेद 371-बी और सी असम और मणिपुर की विधानसभाओं में विशेष समितियों के निर्माण की अनुमति देते हैं. इन समितियों में क्रमशः आदिवासी क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों से चुने गए विधायक शामिल होते हैं.

जनसंख्या के विभिन्न वर्गों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए सिक्किम विधानसभा में अनुच्छेद 371-एफ के तहत आरक्षण प्रदान करने के लिए विशेष प्रावधान भी पेश किए गए हैं.

इससे पहले राज्यों के अस्तित्व में आने के तुरंत बाद लागू हुए थे प्रावधान

बता दें कि नगालैंड, मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश (371-एच) और गोवा (371-आई) के लिए अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधान इनमें से प्रत्येक राज्य के आधिकारिक तौर पर अस्तित्व में आने के तुरंत बाद पेश किए गए थे. अगर लद्दाख के लिए विशेष प्रावधान पेश किए जाते हैं तो यह पहली बार होगा जब उन्हें किसी राज्य के बजाय केंद्र शासित प्रदेश के लिए इन्हें पेश किया जाएगा.

कथित तौर पर गृह मंत्री अमित शाह ने लद्दाख के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि सरकार पहाड़ी परिषदों के माध्यम से स्थानीय लोगों का प्रतिनिधित्व और भागीदारी सुनिश्चित करेगी और सार्वजनिक रोजगार में 80 प्रतिशत तक आरक्षण प्रदान करने के लिए तैयार है.

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