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West Bengal Panchayat Elections: 12 Killed In Violence, War Of Words Between Political Parties – पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव : हिंसा में 12 लोगों की मौत, राजनीतिक पार्टियों के बीच जुबानी जंग



पिछले महीने चुनाव की तारीख की घोषणा होने के बाद से पश्चिम बंगाल में 30 लोग मारे गए. इससे पहले 2018 के चुनाव में भी इतनी ही संख्या में लोगों की मौत हुई थी.

हिंसा के कारण राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है. अधिकारियों ने बताया कि मध्यरात्रि से हिंसा में मारे गए लोगों में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के आठ सदस्य, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), कांग्रेस और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के एक-एक कार्यकर्ता शामिल हैं.

चुनाव को विश्लेषकों द्वारा 2024 के संसदीय चुनावों के लिए ‘परीक्षा’ के रूप में देखा जा रहा है. शनिवार को मतदान के दौरान मतपेटियों की चोरी और जलाए जाने तथा राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ जनता के गुस्से के दृश्य भी देखे गए. मुर्शिदाबाद, नदिया और कूच बिहार जिले के अलावा दक्षिण 24 परगना के भांगर और पूर्वी मेदिनीपुर के नंदीग्राम में हिंसा हुई है.

अधिकारियों ने बताया कि राज्य के ग्रामीण इलाकों की 73,887 सीटों पर सुबह सात बजे मतदान शुरू हुआ था और लगभग 2.06 लाख उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा. उन्होंने बताया कि शाम पांच बजे तक 66.28 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया.

मतदान के गति पकड़ने के साथ राजनीतिक दलों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए. टीएमसी की वरिष्ठ मंत्री शशि पांजा ने कहा, ‘‘बीती रात से चौंकाने वाली घटनाओं की सूचना मिल रही है. भाजपा, माकपा और कांग्रेस ने साठगांठ की थी.” उन्होंने केंद्रीय बलों की भूमिका पर भी सवाल उठाए.

राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने मांग की है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए. उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न होना बहुत मुश्किल है. यह तभी संभव है जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए या अनुच्छेद 355 का इस्तेमाल किया जाए.”

हालांकि, टीएमसी ने एक बयान में कहा, ‘‘यदि तृणमूल कांग्रेस वास्तव में हिंसा भड़काती है, तो उनके कार्यकर्ताओं को निशाना क्यों बनाया जाता और उनकी हत्या क्यों की जाती है? विपक्ष ने हार मान ली है और अब वह मीडिया में अपने सहयोगियों का इस्तेमाल करके यह कहानी गढ़ने का प्रयास कर रहा है कि हिंसा ने चुनाव को किस तरह प्रभावित किया.”

बयान में कहा गया कि पूरे पश्चिम बंगाल में 60 हजार से अधिक बूथ हैं लेकिन केवल 60 बूथ पर ही मतदान प्रक्रिया के दौरान व्यवधान पड़ा है.

इस बीच, कांग्रेस नेता कौस्तव बागची ने कहा कि उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक अभ्यावेदन देकर उस याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया है, जिसमें पश्चिम बंगाल में शनिवार के पंचायत चुनावों को हिंसा एवं हत्या की घटनाओं के कारण अमान्य घोषित करने का आग्रह किया गया है.

राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने उत्तर 24 परगना के विभिन्न इलाकों का दौरा कर हिंसा में घायल लोगों से मुलाकात की और उनकी शिकायतें सुनीं. बोस ने पत्रकारों से कहा, ‘‘रास्ते में लोगों ने मुझसे मेरा काफिला रोकने का अनुरोध किया. बताने के लिए बहुत सारी कहानियां हैं, उन्होंने मुझे अपने आस-पास हो रही हत्या की घटनाओं के बारे में बताया.”

राज्यपाल ने कहा, ‘‘उन्होंने (लोगों ने) यह भी कहा कि गुंडों ने उन्हें मतदान केंद्रों पर जाने की अनुमति नहीं दी और पीठासीन अधिकारियों ने उनकी बात नहीं सुनी. ये छिटपुट मामले हैं, लेकिन खून-खराबे की एक भी घटना हम सभी के लिए चिंता का कारण होनी चाहिए.”

राज्यपाल ने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र के लिए सबसे पावन दिन है. ये छिटपुट घटनाएं हैं, लेकिन इन पर विराम लगना चाहिए.”

अधिकारियों के अनुसार, कूचबिहार जिले की फलीमारी ग्राम पंचायत में भाजपा के मतदान एजेंट माधव बिस्वास की कथित तौर पर हत्या कर दी गई.

भाजपा ने आरोप लगाया कि जब बिस्वास ने मतदान केंद्र में प्रवेश करने की कोशिश की, तो तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने उन्हें रोका और विवाद बढ़ने पर उन्होंने बिस्वास की हत्या कर दी. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने आरोपों से इनकार किया है.

पुलिस के अनुसार, उत्तरी 24 परगना जिले के कदंबगाछी इलाके में शुक्रवार देर रात एक निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थक को पीट-पीटकर मार डाला गया. पुलिस अधीक्षक भास्कर मुखर्जी ने पत्रकारों से कहा कि 41 वर्षीय अब्दुल्ला अली की मौत हो गई है. लेकिन बाद में बारासात अस्पताल के अधीक्षक ने कहा कि अली गंभीर रूप से घायल है और वह वेंटिलेटर पर है, उसकी मौत नहीं हुई है.

अधिकारियों ने बताया कि उत्तर दिनाजपुर के गोलपोखर में टीएमसी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई, जहां टीएमसी पंचायत प्रमुख के पति की मौत हो गई.

अधिकारियों ने कहा कि मुर्शिदाबाद जिले के कापासडांगा इलाके में देर रात चुनाव संबंधी हिंसा में तृणमूल कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की मौत हो गई. अधिकारियों ने बताया कि मृतक की पहचान बाबर अली के रूप में हुई है.

जिले के खारग्राम इलाके में तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई, जिसकी पहचान सबीरूद्दीन एसके के रूप में हुई है.

टीएमसी ने यह भी आरोप लगाया कि कूचबिहार की तूफानगंज 2 पंचायत समिति में उसका एक बूथ समिति सदस्य भाजपा के हमले में मारा गया.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मालदा जिले में कांग्रेस समर्थकों के साथ झड़प में टीएमसी के एक नेता का भाई मारा गया. उन्होंने बताया कि घटना मानिकचक थाना क्षेत्र के जिशारतटोला में हुई और मृतक की पहचान मालेक शेख के रूप में की गई है. टीएमसी ने यह भी आरोप लगाया कि नदिया के छपरा में उसके एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई.

पुलिस ने कहा कि जिले के हरिणघाट इलाके में टीएमसी के साथ झड़प में आईएसएफ का एक कार्यकर्ता मारा गया. पीड़ित की पहचान 48 वर्षीय सैदुल शेख के रूप में हुई है.

टीएमसी की नदिया इकाई के अध्यक्ष देबाशीष गांगुली ने दावा किया कि घटना उस वक्त हुई जब आईएसएफ कार्यकर्ताओं ने तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर देसी बम फेंका. उन्होंने दावा किया, ‘‘एक बम उनके हाथ से छिटककर गिर गया और उसमें विस्फोट हो गया.” हालांकि, शेख के परिवार ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों के हमले में वह मारा गया.

पुलिस ने बताया कि दक्षिण 24 परगना जिले के बसंती में 38 वर्षीय व्यक्ति की हत्या कर दी गई. घटना फुल्मालांचा इलाके में हुई और मृतक की पहचान अनिसुर के रूप में हुई है. मुर्शिदाबाद के रेजीनगर थाना क्षेत्र में चुनाव संबंधित हिंसा में कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की कथित रूप से हत्या कर दी गई. मारे गए कार्यकर्ता की पहचान यासमिन एसके के रूप में हुई है.

पूर्वी बर्द्धमान जिले के औशग्राम 2 ब्लॉक में तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के हमले में माकपा के रजिबुल हक गंभीर रूप से घायल हो गए. एक अस्पताल में उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया. टीएमसी ने आरोप लगाया कि जिले के कटावा इलाके में माकपा समर्थकों ने एक मतदान केंद्र के बाहर उसके एक समर्थक को मार डाला. मृतक की पहचान गौतम रॉय के रूप में हुई है.

कुछ इलाकों से मतपेटियों को नष्ट करने और मतदाताओं को धमकाने की भी सूचना मिली. अधिकारियों के अनुसार, कूच बिहार जिले के दिनहाटा में बारविटा सरकारी प्राथमिक विद्यालय के एक मतदान केंद्र पर मतपेटियों को तोड़ा गया और मतपत्रों में आग लगा दी गई. उन्होंने बताया कि बरनाचिना क्षेत्र के एक अन्य मतदान केंद्र पर स्थानीय लोगों ने फर्जी मतदान का आरोप लगाते हुए मतपत्रों के साथ एक मतपेटी को भी आग के हवाले कर दिया.

केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग को लेकर विभिन्न इलाकों में विरोध-प्रदर्शन भी किए गए. नंदीग्राम में महिला मतदाताओं ने हाथों में जहर की बोतलें लेकर एक पुलिस अधिकारी का घेराव किया और मांग की कि इलाके में केंद्रीय बल तैनात किए जाएं.

माकपा के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने मैदान में रखी खुली मतपेटियों का एक वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘मतदान खत्म हो गया है. एक मतदान केंद्र में मतपत्रों, मतपेटियों की स्थिति. वैसे यह तस्वीर डायमंड हार्बर की है.”

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के लिए राज्य पुलिस के करीब 70,000 कर्मियों के अलावा केंद्रीय बलों की 600 कंपनियां तैनात की गई हैं.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ट्विटर पर एक वीडियो साझा करते हुए आरोप लगाया कि राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) पश्चिम बंगाल में भेजे गए केंद्रीय बलों को तैनात करने के लिए अनिच्छुक था.

उन्होंने पूछा, ‘‘एक तरफ एसईसी केंद्रीय बलों की तैनाती को अनिच्छुक था. दूसरी तरफ असैन्य कार्यकर्ताओं को चुनाव ड्यूटी पर तैनात किया गया था. यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि राज्य सरकार और एसईसी ने अदालत की आंख में धूल झोंकी है. क्या एसईसी चुप रहकर बूथ पर कब्जा जमाने में तृणमूल के गुंडों की मदद कर रहा है?”

राज्य के 22 जिलों में ग्राम पंचायत की 63,229 सीटें और पंचायत समिति की 9,730 सीटें हैं, जबकि 20 जिलों में 928 जिला परिषद सीटें हैं.

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस जिला परिषदों की सभी 928 सीटों, पंचायत समितियों की 9,419 सीटों और ग्राम पंचायतों की 61,591 सीटों पर चुनाव लड़ी है. भाजपा ने 897 जिला परिषद सीटों, पंचायत समिति की 7,032 सीटों और ग्राम पंचायतों की 38,475 सीटों पर उम्मीदवार उतारे.

माकपा 747 जिला परिषद सीटों, पंचायत समिति की 6,752 सीटों और ग्राम पंचायत की 35,411 सीटों पर चुनाव लड़ी है. कांग्रेस ने 644 जिला परिषद सीटों, पंचायत समिति की 2,197 सीटों और ग्राम पंचायत की 11,774 सीटों पर किस्मत आजमाई है.

पंचायत चुनाव राजनीतिक दलों के लिए काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उनके संगठन की क्षमता और कमजोरी के बारे में आकलन करने का एक अवसर देगा. इसके अलावा, यह चुनाव तृणमूल कांग्रेस सरकार के लगातार तीसरे कार्यकाल के शुरुआती दो वर्षों को लेकर राज्य के मिजाज को भी रेखांकित करेगा.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



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