Waqf Amendment Act Jagan Mohan Reddy YSRCP moves Supreme Court challegnges removal of Waqf By user
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के पार्टी भी वक्फ संशोधन कानून के विरोध में खड़ी हो गई है. वाईएसआरसीपी ने सोमवार (14 अप्रैल, 2025) को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.
वाईएसआरसीपी से पहले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने भी अपने महासचिव डी राजा के माध्यम से नए वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी. एडवोकेट महफूज अहसन नाजकी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में वाईएसआरसीपी ने गंभीर संवैधानिक उल्लंघन और मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को दूर करने में विफलता का हवाला दिया.
याचिका में दावा किया गया कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 13, 14, 25 और 26 का उल्लंघन करता है जो मौलिक अधिकारों, कानून के समक्ष समानता, धर्म की स्वतंत्रता और धार्मिक संप्रदायों को अपने मामलों का प्रबंधन करने की स्वायत्तता की गारंटी देते हैं. वाईएसआरसीपी ने कहा कि संशोधित वक्फ कानून की धाराओं नौ और 14 के तहत गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना मुस्लिम संस्थाओं के आंतरिक कामकाज में हस्तक्षेप के रूप में देखा जाता है.
भाकपा ने अपने महासचिव डी राजा के माध्यम से एक रिट याचिका दायर करके दलील दी है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (विधेयक की समीक्षा के लिए गठित) के सदस्यों और अन्य हितधारकों द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर उचित विचार किए बिना जनता के विरोध के बावजूद पारित कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट में वकील राम शंकर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति की सहमति के बाद पांच अप्रैल को प्रकाशित संशोधन अधिनियम वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को काफी हद तक कम करता है और वक्फ अधिनियम, 1995 के ढांचे को मौलिक रूप से बदल देता है. माकपा ने कहा, ‘यह वक्फ बोर्ड के प्रशासन पर केंद्र सरकार को अनियंत्रित अधिकार देता है जिससे संविधान के अनुच्छेद 25,26 और 29 के तहत गारंटीकृत अधिकारों का उल्लंघन होता है.’
इससे पहले, विभिन्न आधारों पर कानून को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई थीं. हाल में अभिनेता से नेता बने टीवीके अध्यक्ष विजय ने कानून को चुनौती दी थी राजनीतिक दलों के अलावा, एआईएमपीएलबी, जमीयत उलमा-ए-हिंद और समस्त केरल जमीयत-उल-उलेमा (केरल में सुन्नी मुस्लिम विद्वानों और मौलवियों का एक धार्मिक संगठन) जैसे मुस्लिम निकायों ने भी शीर्ष अदालत में अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं.
कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद की याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन पर ‘मनमाने प्रतिबंध’ लगाता है जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता कमजोर होती है. एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता एस क्यू आर इलियास ने एक बयान में कहा कि उनकी याचिका में संसद द्वारा पारित संशोधनों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा गया है कि ये ‘मनमाने, भेदभावपूर्ण और बहिष्कार पर आधारित’ हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ 16 अप्रैल को एक दर्जन से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिनमें एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका भी शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, सीजेआई के अलावा जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन याचिकाओं की सुनवाई के लिए गठित तीन न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा हैं. दिल्ली से आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्ला खान ने इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300-ए का उल्लंघन करता है. कुछ अन्य याचिकाओं को अभी सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री द्वारा पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना बाकी है.
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