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Want To Make Children Cultured Then They Should Learn These Habits From Childhood – Parenting Tips: हर कोई कहेगा आपका बच्चा तो बहुत संस्कारी है, बस ये 6 चीजें बचपन से सिखाएं अपने लाडले को


Parenting Tips: हर कोई कहेगा आपका बच्चा तो बहुत संस्कारी है, बस ये 6 चीजें बचपन से सिखाएं अपने लाडले को

Parenting tips : बच्चे में आए अच्छे संस्कार, पैरंट्स इन बातों का रखें ध्यान.

Teach These Manners To Childrens: अपना बच्चा सभी को प्यारा होता है. हर माता-पिता ये चाहते हैं कि उनकी संतान (Children) कामयाब होने के साथ-साथ बेहतर इंसान और संस्कारवान (Cultured) बनें. इसके बावजद पेरेंट्स के न चाहने के बावजूद बच्चों में कुछ ऐसी आदतें पड़ जाती हैं जो न केवल माता-पिता के लिए शर्मिंदगी की वजह बनती हैं, बल्कि बच्चे के लिए भी कतई ठीक नहीं है. तो बच्चों में अच्छी आदतें (Good Habits) और संस्कार डालें कैसे…? किन बातों का रखें ख्याल आइये जानते हैं-

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 बचपन से ही बच्चों की भाषा पर दें ध्यान

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बच्चे जब छोटे होते हैं तो उनकी प्यारी और तोतली जुबान से बोला गया हर शब्द बेहद प्यारा लगता है. कई बार बच्चे अनजाने में अशिष्ट या बेहूदा शब्दों का भी इस्तेमाल कर लेते हैं. बच्चों की बोलने के प्यारे ढंग के कारण पेरेंट्स उन्हें टोकने या सुधारने के बजाय ऐसे शब्दों पर खूब हंसते हैं. इससे बच्चे में अशिष्ट भाषा बोलने की प्रवृत्ति बढ़ती है. लिहाजा बच्चे को कभी भी अशिष्ट भाषा बोलने के लिए प्रोत्साहित न करें. 

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केवल बड़ों का नहीं, सभी का सम्मान करना सिखाएं


हम अक्सर बच्चों को घर के बड़ों का सम्मान करना तो सिखा देते हैं, लेकिन सम्मान के दायरे को बढ़ाना भी जरूरी है. घर में काम करने वाले हाउस हेल्पर, ठेला या रिक्शा चलाने वाले, फल-सब्जी विक्रेता जैसे कामों को कई लोग दोयम दर्जे का समझते हैं. बच्चे में इस तरह का नज़रिया पैदा न होने दे उन्हें बताएं कि हर तरह का काम करने वालों से तमीज व शालीनता से बात करनी चाहिए. 

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शेयरिंग सिखाएं


बच्चों को खाना, खिलौने, मिठाई जैसी चीज़ें भाई-बहनों व दोस्तों से बांटना सिखाएं. उन्हें बताएं कि जीवन के सुखों को किसी के साथ बांटना जरूरी है, तभी दुख बांटने के लिए साथी मिलते हैं.

संवेदशील बनाएं


बच्चे को आस-पास के लोगों के प्रति संवेदनशील बनाएं. बच्चे को समझाएं किसी इंसान का पशु का दुख देखकर खुश होना अच्छी बात नहीं है. हो सके तो उनकी परेशानी दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए. गलती होने पर क्षमा मांगने का सहज भाव भी बच्चों में होना चाहिए.

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भावनाओं पर नियंत्रण भी जरूरी है


संवेदनशील होने के साथ भावनाओं पर काबू होना भी बेहद जरूरी है. बच्चों को समझाएं कि क्रोध में आपा नहीं खोना चाहिए. बच्चों को ऐसा सिखाने के लिए जरूरी है कि आप स्वयं भी उनके सामने अपने क्रोध, भाषा और भावनाओं पर काबू रखें. 

कृतज्ञता का भाव हो


बच्चों में लालच, ईर्ष्या, अहंकार जैसी भावनाएं न पनप सकें इसे लिए उस कृतज्ञ होना सिखाएं. उसे शुक्रिया, थैंक यू, धन्यवाद जैसे शब्द न केवल कहना सिखाएं, बल्कि ये वो इन शब्दों को महसूस भी कर सके. बच्चे को प्रकृति, परिवार, परिजन या परिश्रम से उसे जो कुछ प्राप्त हो रहा है उसके लिए उसे कृतज्ञता व सहजताा का भाव होना चाहिए.



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