Uttarakhand Chamoli Glacier Burst Rescue Mission Continues third day Remaining 4 being searched with ground penetrating radar
Uttarakhand Glacier Burst: उत्तराखंड में चमोली जिले के माणा गांव में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के शिविर के हिमस्खलन की चपेट में आने के कारण बर्फ में फंसे 50 श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया, लेकिन उनमें से चार श्रमिकों की शनिवार (1 मार्च, 2025) को मौत हो गई. वहीं चार मजदूर अभी भी ग्लेशियर में दबे हुए हैं, जिसके चलते तीसरे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. मजदूरों की तलाश के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) मंगाया गया है.
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) द्वारा उपलब्ध कराई गई नई बचाव जानकारी के अनुसार, पांच मजदूर लापता थे, लेकिन उनमें से एक- हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा का सुनील कुमार स्वयं ही सुरक्षित घर पहुंच गया है, जिसके बाद शेष चार मजदूरों की तलाश की जा रही है. सेना के अनुसार, शुक्रवार (28 मार्च, 2025) को सुबह 5:30 से छह बजे के बीच माणा और बद्रीनाथ के बीच बीआरओ शिविर के पास हिमस्खलन हुआ, जिससे आठ कंटेनर और एक शेड के अंदर 55 श्रमिक फंस गए. शुक्रवार रात तक 33 और शनिवार को 17 लोगों को बचा लिया गया.
फिर शुरू हुआ बचाव अभियान
शुक्रवार को बारिश और बर्फबारी के कारण बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हुई और रात होने के कारण अभियान रोक दिया गया था. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी ने बताया कि मौसम साफ होने पर माणा में तैनात सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने सुबह बचाव अभियान फिर से शुरू किया.
बचाव अभियान में लगे 6 हेलिकॉप्टर
सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि बचाव अभियान में छह हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि इनमें तीन थलसेना के, दो वायुसेना के और सेना की ओर से किराए पर लिया गया एक असैन्य हेलीकॉप्टर शामिल है. बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर दूर 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माणा भारत-तिब्बत सीमा पर अंतिम गांव है. सेना के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘50 मजदूरों को बचा लिया गया है, जिनमें से दुर्भाग्य से चार घायलों की मौत की पुष्टि हो गई है, जबकि शेष की तलाश जारी है.’’ उन्होंने कहा कि घायलों को प्राथमिकता के आधार पर निकाला जा रहा है.
किन-किन की हुई मौत?
यूएसडीएमए ने बर्फ से निकाले गए चार मजदूरों की मौत की भी पुष्टि की है जिनमें ज्योतिर्मठ में इलाज के दौरान एक श्रमिक की जबकि बद्रीनाथ-माणा में तीन श्रमिकों की मौत हो गई. यूएसडीएमए ने बताया कि मृतकों की पहचान हिमाचल प्रदेश के मोहिंद्र पाल और जितेंद्र सिंह, उत्तर प्रदेश के मंजीत यादव और उत्तराखंड के आलोक यादव के रूप में हुई है. इसने कहा कि चार मजदूर अब भी लापता हैं, जिनमें हिमाचल प्रदेश के हरमेश चंद, उत्तर प्रदेश के अशोक और उत्तराखंड के अनिल कुमार तथा अरविंद सिंह शामिल हैं.
बर्फ के कारण संपर्क मार्ग हो गया अवरुद्ध
सेना के अधिकारियों ने बताया कि बचाव अभियान मुख्य रूप से सेना और वायुसेना के हेलीकॉप्टर द्वारा संचालित किया जा रहा है, क्योंकि कई स्थानों पर बर्फ के कारण संपर्क मार्ग अवरुद्ध हो गया है, जिससे वाहनों की आवाजाही लगभग असंभव हो गई है. उन्होंने बताया कि प्राथमिकता बचाए गए श्रमिकों को ज्योर्तिमठ स्थित सैन्य अस्पताल में लाने तथा लापता चार श्रमिकों की तलाश करने की है.
लेफ्टिनेंट जनरल बोले- सड़क मार्ग से आवाजाही मुमकिन नहीं
अधिकारियों ने बताया कि 24 लोगों को घायल अवस्था में सेना अस्पताल लाया गया और उनमें से दो को एम्स ऋषिकेश भेजा गया है. प्रवक्ता के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) मध्य कमान और लेफ्टिनेंट जनरल डी जी मिश्रा जीओसी उत्तर भारत क्षेत्र बचाव कार्यों की निगरानी के लिए हिमस्खलन स्थल पर पहुंच गए हैं. लेफ्टिनेंट जनरल सेनगुप्ता ने कहा कि सड़क मार्ग से आवाजाही मुमकिन नहीं है, क्योंकि वह बर्फ से भरा हुआ है. उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ-जोशीमठ राजमार्ग 15-20 स्थानों पर अवरुद्ध है.
कंटेनर का पता लगाने के लिए दिल्ली से मांगा GPR
सेनगुप्ता के अनुसार, बीआरओ कैंप में आठ कंटेनर थे, जिनमें से पांच का पता लगा लिया गया है, जबकि तीन का पता नहीं चल पाया है. उन्होंने कहा कि अगर मौसम अनुकूल रहा तो लापता श्रमिकों का पता लगाने के लिए विशेष रडार, यूएवी, क्वाडकॉप्टर और हिमस्खलन बचाव कुत्तों को लगाया जाएगा, उन्होंने कहा, ‘‘सब कुछ मौसम पर निर्भर करता है.’’ उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा है कि उसने लापता श्रमिकों की तलाश युद्ध स्तर पर करने के लिए तीन लापता कंटेनर का पता लगाने के लिए दिल्ली से ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार मांगा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को बचाव अभियान में तेजी लाने का निर्देश दिया.
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