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Uttarakhand All madrasas Verified report sought in a month CM Pushkar Singh Dhami Orderd ANN


Uttarakhand News: उत्तराखंड में अवैध रूप से चल रहे मदरसों और उनकी फंडिंग को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पुलिस और जिला प्रशासन सक्रिय हो गए हैं. मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सभी मदरसों का सत्यापन और उनमें हो रही गतिविधियों की जांच करने के आदेश दिए हैं. इसके लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में विशेष समितियां गठित की गई हैं, जो एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी.

उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता और आईजी डॉ. नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि मदरसों का वेरिफिकेशन और फंडिंग की जांच की जाएगी. यह भी देखा जाएगा कि कहीं मदरसों में बाहरी राज्यों या विदेशी बच्चों को पढ़ाया तो नहीं जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके.

राज्य में चल रहे सभी मस्जिदों की जांच की जाएगी
इसके लिए जिलों में डीएम की अध्यक्षता में विशेष समिति बनाई गई है. इस समिति में पुलिस, शिक्षा विभाग, मदरसा बोर्ड और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों को शामिल किया गया है. समिति सभी मदरसों की जांच करेगी और एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी. उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि राज्य में कुल 416 मदरसों को मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है. हालांकि, राज्य में कई मदरसे ऐसे भी हैं, जो बिना मान्यता के चल रहे हैं. मदरसा बोर्ड ने ऐसे मदरसों की पहचान कर सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं.

बिना मान्यता के मदरसे चलाने वालों पर कार्रवाई होगी
उन्होंने कहा, “बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 416 है, जबकि कई मदरसों ने मान्यता के लिए आवेदन किया है. इन आवेदनों की जांच के बाद ही उन्हें मान्यता दी जाएगी. वहीं, जो मदरसे बिना मान्यता के चल रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.” मुफ्ती कासमी ने यह भी बताया कि मदरसा बोर्ड मदरसों को मिलने वाली फंडिंग की जांच कर रहा है. उन्होंने कहा, “जहां भी किसी प्रकार की अवैध फंडिंग या गलत गतिविधियां पाई जाएंगी, वहां सख्त कार्रवाई की जाएगी.”

प्रदेशभर के सभी मदरसों का सत्यापन होगा 
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद प्रदेशभर में मदरसों के सत्यापन और फंडिंग की जांच को लेकर जिला प्रशासन ने भी काम शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रदेश में अवैध गतिविधियों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जांच में दोषी पाए गए मदरसों और उनके संचालकों पर सख्त कार्रवाई होगी. हालांकि, हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के पास अवैध मदरसों की सटीक संख्या का कोई आंकड़ा नहीं है. यह मुद्दा जांच प्रक्रिया को और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है. मदरसा बोर्ड ने जिलास्तरीय समितियों के साथ मिलकर अवैध मदरसों की पहचान और सत्यापन का कार्य शुरू कर दिया है.

अवैध फंडिंग पाए जाने पर मदरसों पर होगी कार्रवाई
जांच प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण पहलू मदरसों को मिलने वाली फंडिंग की जांच है. पुलिस और मदरसा बोर्ड यह पता लगाएंगे कि मदरसों को धनराशि कहां से मिल रही है और क्या यह वैध स्रोतों से आ रही है. अवैध फंडिंग पाए जाने पर संबंधित मदरसों पर कार्रवाई की जाएगी. मदरसों की जांच और सत्यापन को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कई लोग इसे सकारात्मक कदम मानते हैं, जिससे शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और कानून का पालन सुनिश्चित होगा. वहीं, कुछ लोग इसे समुदाय विशेष को निशाना बनाने के रूप में देख रहे हैं.

प्रशासन का कहना है कि यह कदम किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि प्रदेश में अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने और शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है. समितियों को निर्देश दिया गया है कि वे सभी मदरसों का वेरिफिकेशन कर एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपें. इसके बाद दोषी पाए गए मदरसों और उनके संचालकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

मदरसों का वेरिफिकेशन बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है 
मदरसों के वेरिफिकेशन और फंडिंग की जांच का यह अभियान उत्तराखंड में एक बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है. इससे न केवल अवैध गतिविधियों पर रोक लगेगी, बल्कि मदरसों में पारदर्शिता और शिक्षा की गुणवत्ता भी सुनिश्चित होगी. हालांकि, प्रशासन के लिए यह जरूरी है कि इस प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता का पालन किया जाए, ताकि समाज के सभी वर्गों का विश्वास कायम रहे.

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