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up politics cm yogi adityanath meeting with pallavi patel may increase tension of akhilesh and keshav prasad


UP Politics: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से ही उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के भीतर कथित कलह के दावे किए जा रहे हैं. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव लगातार दावा कर रहे हैं कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और कुछ अन्य नेता मिलकर सरकार गिराना चाह रहे हैं. उन्होंने तो बीते दिनों केशव को मॉनसून ऑफर तक दे दिया था. 

इन सबके दावों और ऑफर्स के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ के एक कदम से पक्ष और विपक्ष दोनों के कदम ठिठक गए हैं. गुरुवार शाम को जब यह सूचना यूपी के सियासी और सुर्खियों के गलियारे में पहुंची कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी की विधायक और अपना दल कमेरावादी पार्टी की नेता पल्लवी पटेल से मुलाकात की सबके लिए अचरज की बात थी.

यूं तो इस मुलाकात को शिष्टाचार बैठक का नाम दिया जा रहा है लेकिन जानकारों की मानें तो सीएम योगी ने एक तीर से तीन निशाने साध दिए हैं. अब ये तीर से निशाने पर लगता है या नहीं यह तो वक्त बताएगा लेकिन जिस समय यह मुलाकात हुई है उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं.

पहला निशाना- केशव प्रसाद मौर्य:  लोकसभा चुनाव के बाद से ही सरकार और संगठन के बीच कथित अनबन के दावों के केंद्र में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य रहे. लखनऊ में बीजेपी की बैठक के दौरान संगठन और सरकार में फर्क समझाकर, केशव ने विपक्ष को जो मुद्दा दिया, उसके बाद से ही कथित कलह के दावे किए जाने लगे. अब सीएम योगी ने उन पल्लवी पटेल से मुलाकात की है जिन्होंने केशव प्रसाद मौर्य को साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सिराथू से हराया था. सीएम योगी और पल्लवी के मुलाकात से यह संदेश देने की कोशिश हो रही है कि जिस तरह से केशव बीजेपी के सहयोगियों को साथ लाकर खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं अब दूसरी ओर से भी बाजी खाली नहीं जाने दी जाएगी.

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दूसरा निशाना- अनुप्रिया पटेल: अपना दल (सोनेलाल) की नेता, मीरजापुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने ही लोकसभा चुनाव के बाद सबसे पहले आरक्षण के मुद्दे के जरिए राज्य की योगी सरकार पर निशाना साधा था. अनुप्रिया और पल्लवी, दोनों बहनें हैं हालांकि सियासत की महत्वाकांक्षाओं ने दोनों के रास्ते अलग कर दिए. राज्यसभा चुनाव 2024 के वक्त जब यह दावा किया जा रहा था कि पल्लवी, अखिलेश यादव द्वारा प्रत्याशियों के चयन से नाराज हैं, तब अनुप्रिया पटेल के पति और योगी सरकार में कैबिनेट मंंत्री आशीष पटेल ने इसे नौटंकी बताया था. पल्लवी के एनडीए के साथ आने के सवाल पर आशीष ने उस वक्त कहा था कि यह फैसला गठबंधन का नेतृत्व करेगा. माना जा रहा है कि सीएम ने पल्लवी से मुलाकात कर अनुप्रिया खेमे को सियासत की नई संभावनाओं के जन्म लेने का मैसेज भेज दिया है.

तीसरा निशाना- अखिलेश यादव: 2022 के विधानसभा चुनाव में 111 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी को सबसे बड़़ा झटका इस साल फरवरी में तब लगा जब उसके 6 विधायकों ने पाला बदल कर बीजेपी के प्रत्याशी को वोट कर दिया. फिलहाल सदन में सपा के 105 विधायक हैं. इसमें से एक पल्लवी पटेल भी हैं. पल्लवी पटेल को सपा ने अपने टिकट पर सिराथू से चुनाव लड़ाया था. कई मौकों पर अखिलेश यादव और उनकी पत्नी मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव यह बात कह चुकी हैं कि पल्लवी, सपा के टिकट पर विधायक हैं. यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित हैं, जिसमें से एक सीट फूलपुर भी है. फूलपुर से बीजेपी विधायक रहे प्रवीण पटेल अब सांसद बन चुके हैं. ऐसे में यहां भी उपचुनाव होने हैं. सपा की कोशिश है कि वह 10 सीटों में से उन पर भी अपना कब्जा जमाए जो बीजेपी के पास थीं. मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात के बाद फूलपुर में बीजेपी के लिए भी समीकरण और आसान हो सकते हैं. सपा से नाराज पल्लवी ने लोकसभा चुनाव भी पीडीएम मोर्चा बना कर लड़ा था. ऐसे में आगामी उपचुनाव में अखिलेश के लिए फूलपुर जीतने का सपना, सपना ही रह सकता है. सिराथू से फुलपूर की दूरी भी 94 किलोमीटर के करीब है.

अब यह देखना दिलचस्प होगा की सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद खुद पल्लवी पटेल, अखिलेश यादव, अनुप्रिया पटेल, आशीष पटेल और केशव प्रसाद मौर्य की क्या प्रतिक्रिया आती है. उनकी प्रतिक्रियाओं के आधार पर ही यूपी की सियासत के नए समीकरण गढ़े जाने के आसार हैं.



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