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UP Lok Sabha Elections 2024 Congress Can’t Win Amethi And Raebareli Without Akhilesh Yadav


Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस (Congress) और सपा (Samajwadi Party) में छिड़ी बयानबाजी ने सियासी पारा हाई किया हुआ है. दोनों ही दल अकेले दम पर लोकसभा चुनाव लड़ने का दम भर रहे हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय (Ajay Rai) ने जहां सभी 80 सीटों पर तैयारी करने की बात कही तो सपा भी पीछे नहीं है. इन तमाम बातों के बीच एक सच्चाई ये भी है कि यूपी में सपा के बिना कांग्रेस के लिए अमेठी (Amethi) और रायबरेली (Raebareli) की सीट निकालना भी मुश्किल है. सपा से बैर कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकता है.  

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सपा के साथ गठबंधन नहीं किया, जिसके बाद से दोनों पार्टियों में दरार बढ़ गई है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कांग्रेस को धोखेबाज बताया और सभी 80 सीटों पर कैंडिडेट उतारने का दावा कर दिया. सपा अध्यक्ष ने कहा कि जो व्यवहार उनके साथ मध्य प्रदेश में हुआ है वैसा ही यूपी में भी कांग्रेस को देखने को मिलेगा.

सपा से बैर पड़ेगा भारी
अखिलेश यादव के इस एलान ने कांग्रेस के लिए खतरे के घंटी बजा दी है. सपा की नाराजगी यूपी में कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है. सपा के बिना अमेठी-रायबरेली भी कांग्रेस के हाथ आना मुश्किल है. पिछले चुनाव के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं. 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है. कांग्रेस को सिर्फ दो सीटों पर ही जीत मिली है. 

बिना सपा के अमेठी में बुरा हाल
यूपी चुनाव 2022 में अमेठी में बीजेपी के पक्ष में 4.19 लाख वोटरों ने मतदान किया, दूसरे नंबर पर सपा रही, जिसे 3.52 लाख वोट मिले, तीसरे नंबर पर 1.43 वोटों के साथ कांग्रेस रही और बसपा के खाते में 46 हजार वोट आए. वहीं निर्दलीय को 41 हजार वोट मिले. इस लिहाज से अगर देखा जाए तो अमेठी में वापसी के लिए सपा का साथ बहुत जरुरी है. 

रायबरेली में भी कांग्रेस कमजोर
रायबरेली के आंकड़े भी कुछ यही कहानी बयां करते हैं. 2022 में रायबरेली में करीब 10 लाख वोटरों ने मतदान किया. इनमें सपा को सबसे ज्यादा 4.02 लाख वोट मिले, दूसरे नंबर पर 3.82 वोटो के साथ भाजपा रही, तीसरे नंबर पर कांग्रेस को 1.41 लाख वोट मिले और बसपा 1.03 लाख वोट के साथ चौथे नंबर पर रही है. कांग्रेस का ये हाल तब है जब यहां से कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी सांसद हैं. जाहिर है कि यहां भी बिना सपा के कांग्रेस कुछ नहीं है. 

यूपी में कांग्रेस भले की काफी मेहनत कर रही है, लेकिन जमीन पर अब भी उसका संगठन नहीं है. अजय राय थोड़ी बहुत बयानबाजी करके सुर्खियों में तो रह सकते हैं लेकिन पार्टी को मजबूत करने के लिए अभी बहुत काम करना बाकी है. हालांकि कई राजनीतिक जानकार मानते हैं सपा-कांग्रेस की ये जुबानी जंग पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव तक ही है. इसके बाद ‘इंडिया’ गठबंधन फिर एकजुट हो जाएगा. बीजेपी का मुकाबला करने के लिए फिलहाल विपक्ष के पास और कोई फॉर्मूला भी नहीं है.

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