Union Minister Rajkumar Ranjan Singh Supported India-Myanmar Border Fencing Plan | केंद्रीय मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का किया समर्थन, बोले
India-Myanmar Border Fencing: केंद्रीय मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने मणिपुर में जारी संकट के बीच भारत-म्यांमार सीमा पर फेंस लगाने की केंद्र की योजना का समर्थन किया है. सिंह ने कहा कि जुंटा शासित म्यांमार के साथ मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश को छूने वाली 1,600 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा पर बाड़ लगाने की मांग लगातार बढ़ रही है.
केंद्रीय मंत्री ने एनडीटीवी से कहा, “सीमाओं को सुरक्षित रखना देश का मुख्य कर्तव्य है. पश्चिमी क्षेत्र अच्छी तरह से संरक्षित, लेकिन यह ज्यादातर बांग्लादेश के साथ लगी सीमा को कवर करता है. हालांकि, म्यांमार सीमा को लेकर लंबे समय से आम धारणा रही है कि यह क्षेत्र कम समस्या वाला है.”
सीमा पर बाड़ लगाना जरूरी
उन्होंने आगे कहा कि हाालंकि, आज स्थिति ऐसी है कि सीमा पर बाड़ लगाना जरूरी हो गया है. भारत में सभी के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बॉर्डर मैनेजमेंट से सीमा पर बाड़ लगाने का काम करना चाहिए.
स्मार्ट तकनीक का कर सकते हैं इस्तेमाल
सिंह ने कहा कि सीमा पर बाड़ लगाना कोई खतरनाक चीज नहीं है. इससे लोग हमेशा सही दस्तावेजों के साथ यात्रा करते हैं. इसके लिए हम लेटेस्ट स्मार्ट तकनीक का उपयोग कर सकते हैं. आज कई देश सौर ऊर्जा से चलने वाली लेजर बाड़ का उपयोग कर रहे हैं, जिसे कम मैंटेनेंस की आवश्यकता होती है और कैमरों के जरिए लोगों की मूवमेंट का पता लगा सकते हैं.
केंद्र ने खत्म किया एफएमआर
उनका यह बयान केंद्र की फ्री मूवमेंट रिजीम (FMR) को समाप्त करने के फैसले के बाद आया है. एफएमआर भारत-म्यांमार सीमा के करीब रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी तक जाने की अनुमति देता है. गौरतलब है कि मणिपुर सरकार पिछले कुछ महीनों से राज्य में कुकी जनजातियों और मेइतीस के बीच जातीय तनाव के कारण केंद्र से एफएमआर को समाप्त करने के लिए कह रही है.
डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार मणिपुर के पड़ोसी मिजोरम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री लालदुहावमा ने हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर से कहा कि वह नहीं चाहते कि म्यांमार के साथ सीमा पर बाड़ लगाई जाए. मिजोरम ने जुंटा बलों और विद्रोहियों के बीच संघर्ष से बचने के लिए म्यांमार से आए 35,000 से अधिक शरणार्थियों को शरण भी दी है.
यह भी पढ़ें- कौन हैं पीएम मोदी पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले मालदीव के नेता? जानें सबकुछ