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UN Peacekeeping Mission India Increasing Contribution From Military To Training Appreciated By United Nations


UN PeaceKeeping Mission India: संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा यानी यूएन पीसकीपिंग अभियान में भारत का योगदान महत्वपूर्ण रहा है. संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा अभियान के प्रमुख ने भी भारत के योगदान की सराहना की है. दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा अभियान में डिजिटल तकनीक का महत्व बढ़ते जा रहा है. ऐसे में इन अभियानों में भारत की भूमिका भी बढ़ी है.

संयुक्त राष्ट्र ने भी इन अभियानों के डिजिटलीकरण की रणनीति बनाई. संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि इस दिशा में भारत की पहल बेहद सराहनीय है. भारत शांतिरक्षा के डिजिटलीकरण की संयुक्त राष्ट्र की रणनीति में एक प्रमुख और बड़ा साझेदार है. शांति रक्षा अभियानों के लिए अवर महासचिव ज्यां पियरे लैक्रोइक्स ने कहा है कि भारत दुनिया में, यूएन में बहुपक्षवाद में बड़ी भूमिका निभाता है. साथ ही भारत यूएन पीसकीपिंग अभियान योगदान देता है. 

सैनिक भेजने तक ही योगदान सीमित नहीं

पीटीआई को दिए इंटरव्यू में ज्यां पियरे लैक्रोइक्स ने कहा कि भारत का योगदान सिर्फ बलों और पुलिस के संदर्भ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यूएन पीसकीपिंग शांतिरक्षा में सुधार की दिशा में जो भी कदम उठाता है, भारत उनमें कई तरीके से मदद करता है. हम जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा सेना के जवानों को ‘ब्लू हेलमेट’ कहा जाता है. यूएन पीसकीपिंग अभियानों के अवर महासचिव लैक्रोइक्स ने ‘ब्लू हेलमेट’ के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने जैसी अहम पहलों में भारत की भागीदारी और प्रतिबद्धता की तारीफ की है. उन्होंने शांति रक्षा अभियानों में भारत की भागीदारी और उसकी सहयोग की प्रतिबद्धता को बेहद अहम बताया है. इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र भारत के शांतिरक्षकों की ओर से निभाई जाने वाली ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ का भी जिक्र किया.

शांतिसैनिकों में सबसे ज्यादा योगदान देने वाला देश

रक्षा मंत्रालय के बयान के मुताबिक भारत की संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में योगदान देने की एक समृद्ध विरासत रही है और यह शांति सैनिकों में सबसे ज्यादा योगदान देने वाला देश है. आंकड़ों की बात करें तो भारत ने अब तक ऐसे शांति अभियानों में करीब 2,75,000 सैनिकों का योगदान दिया है. यूएन पीसकीपिंग मिशन के तहत भारतीय सेना के 159 जवान पूरी दुनिया में शांति स्‍थापना सुनिश्चित करने के लिए शहीद हुए हैं. भारत ने संयुक्त राष्ट्र की गुजारिश पर एक इन्फैंट्री बटालियन ग्रुप और हेलिकॉप्टर के साथ कार्वेट को हार्ड पावर के रूप में तैनात किया है. साथ ही एक इंजीनियर कंपनी और सिग्नल कंपनी को बल सहायक के रूप में तैनात किया है.

फिलहाल 12 संयुक्त राष्ट्र मिशनों में भारतीय सैनिक तैनात

जिस माहौल में यूएन पीसकीपिंग अभियान के तहत शांति रक्षा कर्मी अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, वो बेहद खतरनाक होता है. इसके बावजूद भारत शुरू से ही संयुक्त राष्ट्र के रक्षा अभियानों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहा है. भारत यूएन पीसकीपिंग में सबसे ज्यादा सैनिक भेजने वाले देशों में से एक है. यूएन पीसकीपिंग अभियानों में कर्मियों के योगदान के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है. भारत के 6000 से ज्यादा सैन्य और पुलिसकर्मी साइप्रस, कांगो, लेबनान, पश्चिम एशिया और पश्चिम सहारा क्षेत्र में तैनात हैं.  वर्तमान में 12 संयुक्त राष्ट्र मिशनों में भारतीय सैनिक तैनात हैं.

भारत ने इस साल की शुरुआत में यानी जनवरी में अबेई में महिला शांतिरक्षकों की भी एक पलटन तैनात की थी. ये यूएन अभियान में भारत से महिला शांति सैनिकों की सबसे बड़ी टुकड़ी की तैनाती है. अबेई दक्षिण सूडान और सूडान की सीमा पर विवादित क्षेत्र है और इस क्षेत्र को 2004 के प्रोटोकॉल के तहत विशेष प्रशासनिक स्थिति हासिल है. महिला शांति सैनिकों जरूरत को देखते हुए भारत ने मोनुस्को (MONUSCO) और यूनिस्फा (UNISFA)में फीमेल इंगेजमेंट टीम (FET) तैनात की है. ये लाइबेरिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा महिला दस्‍ता है. भारत ने यूएनडीओएफ में भी महिला सैन्य पुलिस और अलग-अलग अभियानों में  महिला अधिकारियों और सैन्य पर्यवेक्षकों को भी तैनात किया है.

अत्याधुनिक उपकरण और वाहन भी तैनात

भारतीय सेना ने यूएन पीसकीपिंग मिशन के लिए अत्याधुनिक उपकरण और वाहन भी तैनात किए हैं. भारत में बने इन वाहनों और उपकरणों ने शांति मिशन क्षेत्रों के दुर्गम इलाकों में कठिन मौसम और विपरीत हालात का भी सफलतापूर्वक सामना किया है. भारतीय सेना शांति अभियानों के लिए ट्रेनिंग भी दे रही है. इसके लिए नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र (CUNPK) की स्थापना की है. इस सेंटर के जरिए हर साल 12 हजार से ज्यादा सैनिकों को शांति अभियानों के लिए ट्रेनिंग दी जाती है.

लॉजिस्टिक और तकनीकी सहायता भी मुहैया

इतना ही नहीं पीसकीपिंग मिशन को देखते हुए भारत यूएन और साझेदार देशों के लिए क्षमता विकास के क्षेत्र में भी सबसे आगे रहा है. यूएन पीसकीपिंग का हिस्सा बनने के बाद से ही भारत न सिर्फ लगातार सैनिकों को भेजते रहा है, बल्कि इन अभियानों के लिए बड़े पैमाने पर लॉजिस्टिक और तकनीकी सहायता भी मुहैया कराते रहा है. चाहे प्रशिक्षण हो या फिर बुनियादी ढांचे का विकास भारत ने हमेशा ही यूएन पीसकीपिंग में जरूरत के हिसाब से अपना योगदान बढ़ाते ही रहा है.

शांतिसैनिकों के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर अपने कार्यकाल के अंत में अपनी अध्यक्षता के दौरान पिछले साल दिसंबर में  भारत ने एक पहल की शुरुआत की थी, जिसे ‘ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स’ का नाम दिया गया था. इसका उद्देश्य  शांतिसैनिकों के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही बढ़ाना है. यूएन ने भारत के इस पहल को भी बेहद महत्वपूर्ण बताया है. यूएन पीसकीपिंग अभियानों के अवर महासचिव लैक्रोइक्स ने जानकारी शांतिसैनिकों के खिलाफ अपराध करने वालों को न्याय के दायरे में लाने की दिशा में हुई प्रगति का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि 2019 से अब तक 72 व्यक्तियों को दोषी ठहराया जा चुका है.

शांतिरक्षा सुधार की दिशा में पूरी मदद

यूएन पीसकीपिंग से जुड़े अभियान में सुधार को लेकर जो भी कदम यूएन उठा रहा है, उनमें अभियानों के तहत महिलाओं की संख्या और उनकी भूमिका बढ़ाना भी शामिल है. शांति रक्षा अभियानों में ज्यादा महिलाओं के होने से संबंधित इलाकों में प्रभावी तरीके से जल्द शांति की स्थापना करने में मदद मिलेगी. अबेई में महिला शांति सैनिकों की सबसे बड़ी टुकड़ी की तैनाती बताता है कि भारत यूएन के शांति रक्षा सुधार की दिशा में पूरी मदद कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि सदस्य देश यूएन पीसकीपिंग अभियान के तहत सैन्य, पुलिस और सैन्य इलाकों में ऊंचे पदों के लिए भी ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को भेजें.

तीन भारतीय शांतिसैनिकों को सम्मान

शांति रक्षा अभियानों में शहीद होने वाले सैनिकों, पुलिस और असैन्य शांति सैनिकों को मरणोपरांत ‘डैग हम्मरस्कॉल्ड मेडल’ से सम्मानित किया जाता है. इस बार 103 ऐसे सैन्य, पुलिस और असैन्य शांति सैनिकों को सम्मानित किया गया है, जिनमें पिछले साल अपनी जान गंवाने वाले तीन भारतीय शांति सैनिक भी शामिल हैं. इनमें बीएसएफ के हेड कांस्टेबल शिशुपाल सिंह और संवाली राम विश्नोई शामिल हैं, जिन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संगठन स्थिरीकरण मिशन के साथ काम किया. वहीं शाबर ताहेर अली इराक के लिए संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन में काम कर रहे थे.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ये फैसला करता है कि किस देश में यूएन शांति सैनिकों को भेजे जाने की जरूरत है. यूएन पीसकीपिंग मिशन के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से सैन्य और पुलिसकर्मियों के रूप में योगदान देने की गुजारिश की जाती है. संयुक्त राष्ट्र यूएन पीसकीपिंग मिशन के तहत 1948 से ही दुनिया के अलग-अलग संघर्ष वाले हिस्सों में शांति स्थापित करने के लिए काम कर रहा है. 

संयुक्त राष्ट्र शांतिसैनिक अंतरराष्ट्रीय दिवस

हर साल 29 मई को संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा अभियान के 75 साल पूरे हो गए हैं.  यूएन ने 29 मई को संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया. इस साल आयोजन का थीम ..’शांति मुझसे शुरू होती है’ रखा गया था. ये दिवस 1948 से इस मिशन के तहत काम करने वाले 10 लाख से अधिक लोगों की सेवा और बलिदान को याद करने का एक मौका होता है. यह वह दिवस है जिस दिन  1948 में पहले संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन, ‘यूएन ट्रूस सुपरविजन ऑर्गनाइजेशन (UNTSO) ने फलस्तीन में अपना अभियान शुरू किया था. भारत में भी 29 मई को सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने इंडिया गेट के पास स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक पर शहीद जवानों को पुष्पांजलि अर्पित की. 

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