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Trials done the way that led acquittal in Sikh Riots 1984 Center tells Supreme Court


केंद्र ने सोमवार (27 जनवरी, 2025) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि रिकार्ड से यह स्पष्ट है कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के कई मामलों में सुनवाई इस तरह से की गई कि परिणामस्वरूप आरोपियों को दोषी ठहराने के बजाय बरी कर दिया गया. केंद्र और दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच को बताया कि उन्होंने आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर की थी लेकिन देरी के आधार पर उन्हें खारिज कर दिया गया.

एएसजी एश्वर्या भाटी ने कहा कि 11 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 1984 के दंगों से संबंधित 186 मामलों की जांच के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एस एन ढींगरा की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया था. उन्होंने कहा कि एसआईटी ने मामलों की जांच की और कई मामलों में बरी किये जाने के खिलाफ अपील दायर करने की सिफारिश की.

उन्होंने इस संबंध में दिल्ली पुलिस की ओर से दायर नवीनतम स्थिति रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि आठ अपील दायर की गईं जिन्हें दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया और कुछ मामलों में निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा. पीठ ने कहा कि केंद्र को इस बात पर निर्णय लेना होगा कि बरी करने और बर्खास्त करने के सभी आदेशों को अपीलीय अदालतों के समक्ष चुनौती क्यों नहीं दी गई.

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भाटी ने कहा, ‘मैं हलफनामे से आगे नहीं जा सकती लेकिन हम यह कह सकते हैं कि रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि कई मामलों में सुनवाई इस तरह से की गई, जिसके परिणामस्वरूप आरोपियों को दोषी ठहराए जाने के बजाय बरी कर दिया गया.’ उन्होंने कहा कि केंद्र ने एसआईटी की सिफारिश के अनुसार अपील दायर की है. पीठ ने कहा कि केंद्र की स्थिति रिपोर्ट उसके पास नहीं है और वह पहले उसे देखना चाहेगी. पीठ अब मामले की सुनवाई अगले सोमवार को करेगी.

 

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