TMC leader Kunal Ghosh raised questions On Governor CV Ananda Bose says make obstacle in way of West Bengal Aparajita bill
Aparajita Bill: पश्चिम बंगाल विधानसभा में मंगलवार (3 सितंबर) को ‘अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक’ पारित हो गया. इस बिल को पारित होने के लिए अब राज्यपाल की मंजूरी की जरूरत होती है, जिसके चलते ये बिल अभी पेंडिंग हैं. इस बीच टीएमसी नेता कुणाल घोष ने गवर्नर बोस पर निशाना साधा. घोष ने कहा,’ राज्यपाल को अपराजिता बिल को तुरंत पास कर देना चाहिए, क्योंकि यह महिलाओं की सुरक्षा और अपराध के खिलाफ सबसे सख्त कदम उठाने के लिए एक आदर्श बिल है.
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा,’ जब भी पश्चिम बंगाल की विधानसभा बिल पास करती है, राज्यपाल को तुरंत इसे पास कर देना चाहिए. लेकिन वह देरी करने की रणनीति अपना रहे हैं.
बिल में विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे राज्यपाल
टीएमसी नेता कुणाल घोष ने आगे कहा कि अगर वह देरी करने की पूरी कोशिश करते हैं, तो सवाल उठ सकता है कि चूंकि उनके खिलाफ कुछ आरोप हैं. इसलिए वह इतनी देरी कर रहे हैं और वह इस बिल में कुछ विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.
#WATCH | TMC leader Kunal Ghosh says, “The Governor should clear the Aparajita bill urgently because this is a model bill for the safety and security of women and the toughest steps against crime against women. Whenever the assembly of West Bengal passes the bill, the governor… pic.twitter.com/LRgvkBoIGK
— ANI (@ANI) September 6, 2024
जानिए गवर्नर ऑफिस ने क्यों जताई नाराजगी?
पश्चिम बंगाल राजभवन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट शेयर की गई. जिसमें कहा गया कि, राज्यपाल सीवी बोस ने पश्चिम बंगाल सरकार से अनिवार्य तकनीकी रिपोर्ट मिलने पर अपराजिता विधेयक को भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा है. लेकिन राजभवन ने विधानसभा सचिवालय द्वारा नियमों के तहत बहस का पाठ और उसका अनुवाद उपलब्ध कराने में विफलता पर अपनी नाराजगी जताई है.
इस बीच तीखी बहस, आपसी आरोप-प्रत्यारोप, राजनीतिक धमकियों और अल्टीमेटम के अंत में मुख्यमंत्री ने राज्यपाल द्वारा विधेयक को मंजूरी न दिए जाने पर राजभवन के बाहर धरना देने की धमकी दी थी. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के धमकाने वाले रुख पर नाराजगी जताई और सरकार को कानूनी और संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करने में विफल रहने के लिए फटकार लगाई.
राज्यपाल ने विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा
शुक्रवार (6 सितंबर) को पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव ने दोपहर में राज्यपाल से मुलाकात की. जिसके बाद दोपहर में सरकार की ओर से जरूरी तकनीकी रिपोर्ट राज्यपाल को उपलब्ध कराई गई. फिलहाल, राज्यपाल ने विधेयक को भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख लिया है. हालांकि, अब पश्चिम बंगाल विधेयक महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश से राष्ट्रपति के पास लंबित इसी तरह के अन्य विधेयकों की कतार में शामिल हो जाएगा.
गवर्नर ने होमवर्क करने की सलाह दी
राज्यपाल ने जल्दबाजी में पारित विधेयक में चूक और कमियों की ओर इशारा किया. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी. ‘जल्दबाजी में काम न करें और आराम से पछताएं.’ राज्यपाल ने कहा कि लोग विधेयक के लागू होने तक इंतजार नहीं कर सकते. वे न्याय चाहते हैं और उन्हें मौजूदा कानून के दायरे में न्याय मिलना चाहिए. सरकार को प्रभावी तरीके से काम करना चाहिए, लोगों को न्याय मिलना चाहिए. अपनी प्यारी बेटी को खोने वाली शोक संतप्त मां के आंसू पोंछना सरकार का कर्तव्य है.
राज्यपाल ने विधेयक में स्पष्ट खामियों और कमियों की ओर इशारा किया और सरकार को जल्दबाजी में जवाब देने के बजाय अपना होमवर्क करने की सलाह दी.
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