Three-day Hunger Strike In Kargil Demanding Statehood For Ladakh – लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर कारगिल में तीन-दिवसीय भूख हड़ताल
केडीए और एलएएच, दोनों जिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों के अलग-अलग समूह, संयुक्त रूप से अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, जिनमें स्थानीय युवाओं के लिए नौकरी में आरक्षण और एक राज्यसभा सीट की मांग भी शामिल है.
अगस्त 2019 में लद्दाख को विधानसभा के बगैर केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने के तुरंत बाद आंदोलन शुरू किया गया था. केडीए का पूरा नेतृत्व 200 से अधिक स्वयंसेवकों के साथ रविवार सुबह हुसैनी पार्क में इकट्ठा हुआ और वांगचुक के साथ एकजुटता दिखाते हुए तीन-दिवसीय भूख हड़ताल शुरू की. वांगचुक इन मांगों के समर्थन में छह मार्च से लेह में ‘जलवायु उपवास’ पर हैं.
लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी), कारगिल, के कार्यकारी पार्षद जफर अखनून सहित विभिन्न वर्गों के लोगों ने भूख हड़ताल में हिस्सा लिया. इस मौके पर केडीए के सह-अध्यक्ष कमर अली अखनून एवं असगर अली करबलाई भी मौजूद थे. प्रदर्शन के दौरान उपस्थित जन समूहों ने ‘‘खोखला केंद्रशासित प्रदेश, नौकरशाही स्वीकार्य नहीं है और लद्दाख में लोकतंत्र बहाल करें” जैसे नारे लगाये.
उन्होंने कहा, ‘‘भूख हड़ताल हमारी चार-सूत्रीय मांगों पर दबाव बनाने के लिए केडीए और एलएएच द्वारा चल रहे संयुक्त आंदोलन का हिस्सा है.”
करबलाई ने कहा कि दुर्भाग्य से गृह मंत्रालय के साथ पांच दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय गृहमंत्री (अमित शाह) ने चार मार्च को बताया था कि उन्हें कुछ संवैधानिक सुरक्षा उपाय दिए जाएंगे, लेकिन राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची का लाभ नहीं दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि केडीए और एलएएच ने सर्वसम्मति से लेह में वांगचुक द्वारा भूख हड़ताल शुरू करने के साथ आंदोलन तेज करने का फैसला किया.
करबलाई ने कहा, लेह और करगिल में भूख हड़ताल 26 मार्च की शाम को समाप्त हो जाएगी और लोगों से जिला कस्बों में इकट्ठा होने का अनुरोध किया जाता है, जहां संबंधित नेतृत्व भविष्य की कार्रवाई की घोषणा करेगा.
लेह में वांगचुक ने कहा कि उनके ‘जलवायु उपवास’ के 19वें दिन की शुरुआत में शून्य से नीचे तापमान में 5,000 लोग उनके साथ शामिल हुए.