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The New Parliament Building Has Six Gates Named After Creatures All You Need To Know – नई संसद भवन में एंट्री-एग्जिट के लिए बने हैं 6 गेट, हर गेट का अपना महत्व; यहां जानें डिटेल



नई संसद भवन के द्वार पर जितने भी जानवर की प्रतिमाएं स्थापित हैं, उनका बड़ा आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्व है. शास्त्रों में यह सब हमारी संस्कृति और ज्ञान के प्रतीक हैं. ये हमें चलते रहने की प्रेरणा देते हैं. ये सुख, शांति, समृद्धि के द्योतक हैं. शुभ जानवरों की लाल बलुआ पत्थर की मूर्तियां भारतीय संस्कृति में उनके महत्व, उनकी सौंदर्य उपस्थिति, सकारात्मक गुणों और वास्तु शास्त्र के अध्ययन के आधार पर अभिभावक मूर्तियों के रूप में स्थापित की गई हैं. 

आइए जानते हैं नई संसद भवन के सभी 6 गेटों के बारे में…

गज द्वार (Gaja Dwar)

यह द्वार उत्तर दिशा में है. गज यानी हाथी. यहां हाथी की दो मूर्तियां स्थापित हैं. हाथी ज्ञान, उन्नति, धन, बुद्धि और स्मृति का प्रतिनिधित्व करता है. यह आकांक्षाओं का भी प्रतीक है. गज भगवान गणेश के प्रतिनिधि हैं. नव निधियों के भी प्रतीक है. उत्तर दिशा का संबंध बुध ग्रह से है, जो उच्च बुद्धि का स्रोत है. द्वारों पर हाथी की आकृतियां आम हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, इन्हें समृद्धि और खुशहाली लाने वाला कहा जाता है.

अश्व द्वार (Ashwa Dwar)

दक्षिणी प्रवेश द्वार पर सतर्क और तैयार अश्व यानी घोड़ा है. अश्व धैर्य और शक्ति, ताकत और गति का प्रतीक है. शास्त्रों में इसे समृद्धि का प्रतीक माना गया है. यह सतत चलायमान होने का भी प्रतीक है. इससे भारतीय संसद की गुणवत्ता का प्रतिनिधि भी कह सकते हैं, जो कभी रुकेगी नहीं, जनहित में चलती रहेगी. अश्व की प्रतिमा ओडिशा के सूर्य मंदिर का प्रतिनिधित्व करती है. वहां से प्रेरित है.

गरुड़ द्वार (Garuda Dwar)

ये संसद का तीसरा गेट है और पूर्वी प्रवेश द्वार है. गरुड़ भगवान विष्णु का वाहन हैं. ये गेट देश के लोगों और प्रशासकों की आकांक्षाओं का प्रतीक है. शास्त्रों में गरुड़ आशा, जीत की महिमा और सफलता का प्रतिनिधित्व करते हैं. शास्त्रों में उल्लेख है कि उड़ते समय इनके पंखों से वेद ध्वनि निकलती है. इन्हें विष हर्ता भी कहा गया है. भगवान को भोग लगाते समय मंदिरों में इसे बजाकर इनका आह्वान किया जाता है, जिससे भोजन में अगर कोई विषाक्त पदार्थ है, तो उसका प्रभाव समाप्त हो. यह प्रतिमा तमिलनाडु में 18 वीं सदी के नायका काल से प्रभावित है.

मकर द्वार (Makara Dwar)

मकर द्वार संसद भवन जाने के लिए चौथा गेट है. मकर एक पौराणिक जलीय जीव है. मकर विभिन्न जानवरों के शारीरिक अंगों को जोड़ता है, जो देश के लोगों के बीच विविधता में एकता का प्रतिनिधित्व करता है. शास्त्रों में मकर को कामदेव की ध्वजा का चिन्ह बताया गया है. यह वरुण देव एवं मां गंगा का वाहन भी है. मकर द्वार को कर्नाटक के होयसलेसवरा मंदिर से प्रेरित बताया गया है.

शार्दूल द्वार (Shardula Dwar)

शार्दूल द्वार पांचवां गेट है. शार्दूल एक अन्य पौराणिक जीव के रूप में जाना जाता है, जो सबसे शक्तिशाली, सभी जीवित प्राणियों में अग्रणी कहा जाता है, जो देश के लोगों की शक्ति का प्रतीक है. ओजस्विता और विजय का प्रतीक है. मां दुर्गा की सवारी है. शार्दूल की मूर्ति ग्वालियर के गुजरी मंदिर से प्रेरित बताई जाती है.

हंस द्वार (Hamsa Dwar)

संसद भवन के अंदर जाने का छठा गेट हंस द्वार है. उत्तर पूर्व के सार्वजनिक प्रवेश द्वार पर हम्सा या हंस लोगों का ध्यान खींचेंगे. शास्त्रों में हंस मां सरस्वती का वाहन है. शांति और विद्या का प्रतीक है. शांति-सद्भाव का प्रतीक है. भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक हंसावतार भी हुआ है. यह कर्नाटक के हम्पी स्थित विजय विताला मंदिर से प्रेरित है.

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