Supreme Court While Hearing Plea Of West Bengal Based Political Commentator Says Politicians Should Be Thick Skinned
Supreme Court Hearing: असमिया लोगों के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए दर्ज की गई कई प्राथमिकी के संबंध में गिरफ्तारी से संरक्षण का अनुरोध करने वाली पश्चिम बंगाल के एक राजनीतिक टिप्पणीकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ने मंगलवार (30 जनवरी) को कहा, “नेताओं को मोटी चमड़ी वाला (अर्थात लोगों की टिप्पणी से अप्रभावित रहने वाला) होना चाहिए.”
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने पश्चिम बंगाल के एक राजनीतिक टिप्पणीकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इन दिनों न्यायाधीशों को भी पत्रों और साक्षात्कारों में उनके खिलाफ की गई टिप्पणियों को अनदेखा करना चाहिए.
…हम न्यायाधीशों को भी सतर्क रहने की जरूरत- जस्टिस बीआर गवई
न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा, “नेताओं को मोटी चमड़ी वाला होना चाहिए. आजकल पत्रों और साक्षात्कारों के संबंध में हम न्यायाधीशों को भी सतर्क रहने की जरूरत है. अगर हम उनकी बात सुनने लगेंगे, तो काम ही नहीं कर पाएंगे.”
राजनीतिक टिप्पणीकार गर्ग चटर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल और अधिवक्ता आशुतोष दुबे ने पीठ को बताया कि उन्होंने 2020 में ट्विटर (अब एक्स) पर कुछ टिप्पणियां की थीं. अग्रवाल ने कहा कि उनके खिलाफ असम और पश्चिम बंगाल में कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिन्हें आगे की जांच के लिए एक साथ जोड़कर किसी तटस्थ राज्य में स्थानांतरित करने की जरूरत है.
याचिकाकर्ता ने 2020 में मांगी थी सार्वजनिक माफी- अधिवक्ता
असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने चटर्जी की गिरफ्तारी का आदेश दिया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन्होंने कहा, “19 अगस्त, 2020 को याचिकाकर्ता ने असम के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली अपनी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक माफी मांगी.”
पीठ ने उनसे पूछा कि उन्हें जमानत दी गई या नहीं? अग्रवाल ने कहा कि जमानत दे दी गई और उन्हें नौ सितंबर, 2022 को इस अदालत की ओर से पश्चिम बंगाल और असम में दर्ज प्राथमिकी के संबंध में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की गई. इसके बाद पीठ ने मामले को गैर-विविध दिन पर अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और दलीलें पूरी करने को कहा.
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