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Supreme Court Verdict On Validity Of Ending Jammu And Kashmir Special Status Today – अनुच्छेद 370 निरस्त करने के पीछे कोई दुर्भावना नहीं पाते, जम्मू-कश्मीर दूसरे राज्यों से अलग नहीं : सुप्रीम कोर्ट



11: 27: जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को स्थायी निकाय बनाने का इरादा कभी नहीं था: प्रधान न्यायाधीश.

11: 24: अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का आदेश संवैधानिक तौर पर वैध : CJI

11: 25: जम्मू-कश्मीर के पास देश के अन्य राज्यों से अलग आंतरिक संप्रभुता नहीं है: प्रधान न्यायाधीश

11: 21: इतने साल के बाद वैधता पर बहस प्रासंगिक नहीं, चुनौती की अनुमति दी, तो अराजकता फैलेगी : CJI

11: 22: राज्य में जंग के हालात के चलते अनुच्छेद 370 की अस्थायी व्यवस्था की गई थी : CJI

11: 23: अनुच्छेद 370: उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की उन दलीलों को खारिज कर दिया कि राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र द्वारा कोई अपरिवर्तनीय कार्रवाई नहीं की जा सकती है.

11: 07: 370 पर फैसले के लिए बेंच बैठा.

11: 08:  जस्टिस कौल ने अलग फैसला लिखा है : CJI

11: 10: इतने साल बाद वैधता पर बहस प्रासंगिक नहीं’ : अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट

11: 11: भारत में शामिल होने के बाद जम्मू-कश्मीर ने संप्रभुता का तत्व बरकरार नहीं रखा : CJI

11: 12:  हर कार्रवाई को चुनौती नहीं दी जा सकती :  CJI

11: 13: केंद्र राष्ट्रपति की भूमिका के तहत राज्य सरकार की शक्ति का प्रयोग कर सकता है. याचिकाकर्ताओं की दलीलों को खारिज करते हुए CJI ने कहा कि संसद/राष्ट्रपति उद्घोषणा के तहत किसी राज्य की विधायी शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं.

11: 16: 3 जजों का फैसला एक, 2  जजों के फैसले अगल-अलग.

11: 17: जम्मू एवं कश्मीर जब भारत से जुड़ा था, तब उसके पास संप्रभुता नहीं थी : स्पेशल स्टेटस पर फ़ैसले में बोले CJI

11: 17: अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था : CJI

11: 18: पांच जजों की पीठ ने दिए हैं तीन अलग-अलग फ़ैसले. तीन जजों का फ़ैसला एक जैसा, शेष दोनों जजों के फ़ैसले अलग-अलग.

11: 20: अनुच्छेद 370 : सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की ओर से केंद्र द्वारा लिए गए हर फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती है.

5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. 16 दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद फैसला अदालत ने सुरक्षित रखा था.

सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का फैसला संवैधानिक है या नहीं. CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत का संविधान पीठ इस मामले पर फैसला सुनाने जा रहा है. 

याचिकाकर्ताओं की ओर से 18 वकीलों ने रखा था पक्ष

याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, दुष्यंत दवे राजीव धवन, दिनेश द्विवेदी, गोपाल शंकरनारायण समेत 18 वकीलों ने रखी दलीलें रखीं. जबकि केंद्र और दूसरे पक्ष की ओर से AG आर वेंकटरमणी, SG तुषार मेहता, हरीश साल्वे, महेश जेठमलानी, मनिंदर सिंह, राकेश द्विवेदी ने दलीलें रखीं. 

केंद्र सरकार ने अदालत में क्या कहा था? 

केंद्र ने कहा कि राज्य की संविधान सभा के विघटन के साथ ही विधानसभा सृजित की गई. जब विधान सभा स्थगित हो तो राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र को संसद की सम्मति से निर्णय लेने का अधिकार है. इसमें कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं है जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ हो और केंद्र राज्य के बीच संघीय ढांचे का उल्लंघन करता हो. याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील थी कि केंद्र ने मनमानी करते हुए राज्य विधान सभा के विशेष अधिकार और यहां के विशिष्ट स्वरूप यानी संविधान की अनदेखी की है. राज्य के बंटवारे से पर राज्य की जनता यानी उनके नुमाइंदों यानी विधान सभा की अनुमति या सम्मति लेनी जरूरी थी. केंद्र सरकार ने ऐसा ना करके केंद्र राज्य संबंधों के नजरिए से राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण किया है.

शीर्ष अदालत ने सवाल किया है कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने की सिफारिश कौन कर सकता है? नियमों के तहत, अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए संविधान सभा से मंजूरी की आवश्यकता होती है, जिसे संविधान ने अस्थायी रखा है. कोर्ट ने यह भी पूछा है कि संविधान सभा भंग होने के बाद यह अनुच्छेद स्थायी कैसे हो गया.

सुप्रीम कोर्ट ने दोनों ही पक्षों से पूछे थे कई सवाल

16  दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने भी कई टिप्पणियां की जिनमें केंद्र से पूछा गया कि उसने किस कानून के तहत ये कदम उठाया? – राज्य का बंटवारा मनमाने ढंग से करने के आरोपों पर उसका क्या कहना है? इसकी शक्ति उसे किस कानून से मिली?  सरकार जम्मू कश्मीर को उसका पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिलेगा और सरकार वहां चुनाव कब कराएगी? जम्मू- कश्मीर को लेकर केंद्र का रोडमैप क्या है?

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि अनुच्छेद 370 को केंद्र द्वारा एकतरफा खत्म नहीं किया जा सकता है, क्योंकि 1957 में संविधान सभा भंग होने के बाद इसकी शक्तियां जम्मू-कश्मीर विधानमंडल में निहित थीं.

सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि लद्दाख स्थाई रूप से केंद्र शासित प्रदेश रहेगा. वहां चुनाव हो रहे हैं. जम्मू कश्मीर में मतदाता सूची अपडेट हो रही है. हम तो तैयार हैं. अब आगे चुनाव कार्यक्रम तो निर्वाचन आयोग को ही तय करना है. जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिलेगा, समय सीमा नहीं बता सकते.

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