Supreme Court verdict on CGST SGST provisions of customer act no arrest without valid reason CJI Sanjiv Khanna ann
जीएसटी एक्ट और कस्टम्स एक्ट के तहत बिना उचित कारण के गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट ने गलत बताया है. एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह कानून नागरिकों को धमकाने की अनुमति नहीं देते. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर किसी को अपनी गिरफ्तारी का अंदेशा हो, तो वह अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है. इसके लिए एफआईआर दर्ज होने तक प्रतीक्षा करना जरूरी नहीं है.
इस फैसले में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस एम एम सुंदरेश की बेंच 200 से ज्यादा याचिकाओं का निपटारा किया है. इन याचिकाओं में जीएसटी एक्ट और कस्टम्स एक्ट के तहत गिरफ्तारी के प्रावधानों के दुरुपयोग का मसला उठाया गया था. 3 जजों की बेंच ने कहा है गिरफ्तारी के मामलों में लोगों को जो अधिकार सीआरपीसी और बीएनएसएस में दिए गए हैं, वह जीएसटी और कस्टम्स के मामलों में भी लागू हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए कानून को लेकर अरविंद केजरीवाल मामले में दिए आदेश का भी इस फैसले में हवाला दिया है. उस फैसले में पीएमएलए की धारा 19(1) की व्याख्या करते हुए कहा था कि गिरफ्तारी से पहले यह दर्ज किया जाना चाहिए कि गिरफ्तार करना क्यों आवश्यक है. कोर्ट ने अब कस्टम्स एक्ट की धारा 104 और जीएसटी एक्ट की धारा 132 को पीएमएलए की धारा 19(1) जैसा ही करार दिया है यानी इनमें भी बिना उचित कारण के गिरफ्तारी नहीं हो सकती.
कोर्ट ने साफ किया है कि जीएसटी या कस्टम्स के अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं. वह पुलिस अधिकारियों जैसी शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सकते. कोर्ट ने यह भी कहा है कि तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान जीएसटी या कस्टम्स अधिकारी किसी को अपने ही खिलाफ बयान देने के लिए धमका नहीं सकते. अगर किसी से इस तरह की जोर-जबरदस्ती की जाती है, तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.