Supreme Court term action of Jharkhand Police against BJP MPs Nishikant Dubey and Manoj Tiwari as wrong ANN
Supreme Court On BJP Case: सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी को राहत का संकेत दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ झारखंड सीआईडी की तरफ से की रही जांच रद्द करने वाले हाई कोर्ट के फैसले को सही कहा है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देवघर एयरपोर्ट में कथित तौर पर ज़बरन घुसने और विमान उड़ाने का दबाव बनाने के मामले में DGCA (नागरिक उड्डयन निदेशालय) चाहे तो कार्रवाई कर सकता है.
झारखंड पुलिस ने सितंबर 2022 में दर्ज केस में यह आरोप लगाया था कि झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और उत्तर पूर्वी दिल्ली से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी 31 अगस्त 2022 को देवघर एयरपोर्ट पर ज़बरन घुसे. उन्होंने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के लोगों पर दबाव बनाया कि वह रात में ही उनका विमान उड़ने दें, जबकि देवघर एयरपोर्ट पर यह सुविधा नहीं थी.
झारखंड हाई कोर्ट ने रद्द की थी FIR
13 मार्च 2023 को झारखंड हाई कोर्ट ने झारखंड पुलिस की एफआईआर को रद्द कर दिया था. हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई को दुर्भावना भरा कहा था. हाई कोर्ट ने कहा था कि मामला पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं है. सांसदों पर केस दर्ज करने से पहले सक्षम अथॉरिटी से अनुमति भी नहीं ली गई.
‘राज्य सरकार की सीआईडी का कोई काम नहीं’
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची झारखंड सरकार की अपील को जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सुना. बेंच ने कहा कि अगर इस मामले में कोई केस बनता भी है, तो वह एयरक्राफ्ट एक्ट के तहत बनता है. इस एक्ट का मामला केंद्र सरकार के तहत आने वाले DGCA को देखना होता है. इसमें राज्य सरकार की सीआईडी का कोई काम नहीं.
‘उनका कोई अपराध करने का नहीं था इरादा’
झारखंड सरकार के लिए पेश वकील ने इसे आईपीसी की धारा 336 (दूसरों का जीवन खतरे में डालना) और 441 (किसी परिसर में ज़बरन प्रवेश) से भी जुड़ा बताया. जज इससे सहमत नहीं हुए. जस्टिस ओका ने कहा, “इसमें दूसरों के जीवन को खतरे में डालने का मामला कहां है? न ही ज़बरन प्रवेश का मामला है. वह सिर्फ उड़ान भरने की इजाज़त मांग रहे थे. उनका इरादा कोई अपराध करने का भी नहीं था.”
अंत में बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट ने पूरी जांच को ही बंद करवा दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट इसमें थोड़ा संशोधन करेगा. वह झारखंड पुलिस को अनुमति देगा कि वह जांच के दौरान जुटाए गए तथ्य DGCA के सामने रखे. अगर DGCA को ज़रूरी लगेगा तो वह एयरक्राफ्ट एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू कर सकता है. इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर आदेश सुरक्षित रख लिया.