Supreme Court takes suo motu cognisance controversial decision of Allahabad High Court regarding attempt to rape of minor ann
Supreme Court: नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश से जुड़े एक मामले में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान ले लिया है. इस मामले में बुधवार (26 मार्च 2025) को सुनवाई होगी. जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच में यह मामला सुनवाई के लिए लगा है.
हाई कोर्ट के फैसले की हुई आलोचना
17 मार्च को आए इस फैसले में हाई कोर्ट ने कहा था कि पीड़िता के निजी अंगों को पकड़ना और पजामे के डोरी को तोड़ना रेप की कोशिश नहीं कहलाएगा. फैसले के इस अंश की चौतरफा आलोचना हो रही थी. कई वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया था.
जिस मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह विवादित फैसला आया था, उसमें 2 आरोपियों पर आईपीसी की धारा 376 (रेप), 18 (अपराध की कोशिश) और पॉक्सो एक्ट की धाराएं लगी थीं. मामले पर फैसला देने वाले जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने 11 साल की लड़की के साथ हुई इस घटना के तथ्यों को रिकॉर्ड किया था. उनका निष्कर्ष था कि यह महिला की गरिमा पर आघात का मामला है. इसे रेप या रेप का प्रयास नहीं कह सकते.
रेप की धारा हटा दिया गया था
जस्टिस मिश्रा ने दोनों आरोपियों से रेप की धारा हटाते हुए धारा 354-B (महिला को निर्वस्त्र करने के मकसद से बलप्रयोग) और पॉक्सो एक्ट की धारा 9 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाने को कहा था. जस्टिस मिश्रा के निष्कर्ष और उनकी टिप्पणियों के दूरगामी असर को देखते हुए लोग सुप्रीम कोर्ट से संज्ञान की मांग कर रहे थे.
इस मामले को लेकर एक जनहित याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई थी. 24 मार्च को जस्टिस बेला त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच में मामला लगा था. उन्होंने याचिकाकर्ता और उनके एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के मौजूद न होने और उनकी जगह किसी और वकील के पेश होने पर नाराजगी जताई थी. इसके बाद उन्होंने याचिका को खारिज कर दिया था.