Supreme Court sought reply from modi govt and Election Commission promising freebies during elections
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सौगातों का वादा करने के चलन के खिलाफ एक नई याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे. पी. और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने बेंगलुरु के रहने वाले शशांक जे. श्रीधारा की याचिका पर भारत सरकार तथा चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया.
वकील श्रीनिवास द्वारा दायर याचिका में चुनाव आयोग को चुनाव से पहले राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सौगातें देने के वादे करने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया गया है. इस याचिका में बताया गया है कि ‘मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के बेलगाम वादे सरकारी राजकोष पर बड़ा और बेहिसाबी वित्तीय बोझ डालते हैं इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र नहीं है कि चुनाव पूर्व किए वादे पूरे किए जाएं’.
सुप्रीम कोर्ट ने अन्य याचिकाओं को भी जोड़ा
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अन्य याचिकाओं से जोड़ा है. इससे पहले, कोर्ट चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का वादा करने के चलन के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया था. वकील एवं जनहित याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश सीनियर अधिवक्ता विजय हंसारिया ने मामले पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था.
उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए लोकलुभावन उपायों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, क्योंकि वे संविधान का उल्लंघन करते हैं और चुनाव आयोग को उचित निवारक उपाय करने चाहिए. याचिका में अदालत से ये घोषित करने का भी आग्रह किया गया है, कि चुनाव से पहले सार्वजनिक निधि से अतार्किक मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का वादा मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित करता है, समान अवसरों में बाधा डालता है और चुनाव प्रक्रिया की शुचिता को दूषित करता है. ‘याचिकाकर्ता का कहना है कि चुनावों के मद्देनजर मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का वादा कर मतदाताओं को प्रभावित करने की राजनीतिक दलों की हाल की प्रवृत्ति न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए बल्कि संविधान की भावना के लिए सबसे बड़ा खतरा है’.