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supreme court slams pmla money laundering act v senthil balaji bail will ED become weak | PMLA


Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत देते हुए गुरुवार (27 सितंबर 2024) को ईडी को फटकार लगाई. ईडी ने कैश फॉर जॉब मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में बालाजी के खिलाफ केस दर्ज किया था. इस मामले पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल पूरा होने में ज्यादा समय लगना और जमानत की कठोर शर्तें दोनों साथ-साथ नहीं चल सकती. सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी को बेल देते हुए कई अहम टिप्पणी की.

बेल देते हुए कोर्ट ने क्या कहा ?

सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी को बेल देते हुए कहा, “संवैधानिक अदालतें धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के लिए ऐसा माध्यम बनाने की अनुमति नहीं दे सकती हैं, जिससे लोगों को लंबे समय तक कैद में रखा जा सके. अगर पीएमएलए की धारा 45(1)(2) के तहत दर्ज शिकायत की सुनवाई लंबे समय तक चलने की संभावना है तो कोर्ट को अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर आरोपी को जमानत देने पर विचार करना होगा.”

कई मौकों पर सुप्रीम कोर्ट उठा चुका सवाल

इसे लेकर अब सवाल खड़े होने लगे कि सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद ईडी कमजोर हो जाएगी. ये पहला मौका नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली के कथित शराब घोटाले की जांच में ईडी-सीबीआई के तरीकों पर सवाल उठाया था. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा था कि जांच एजेंसियां गवाहों से लेकर आरोपियों तक में पिक एंड चूज की नीति अपनाती हैं, जो भेदभावकारी है.

वहीं बीआरएस नेता के. कविता मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि ईडी-सीबीआई ने चुनिंदा गवाहों और सरकार के पाले में चले गए गवाहों के बयानों पर भरोसा किया, ताकि आरोप मढ़ने में आसानी हो.

‘SC की टिप्पणी से और मजबूत हुई पीएमएलए की धारा 45’

तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी को बेल देते वक्त सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने एबीपी न्यूज से एक्सक्लूसिव बात की. सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील शशांक देव सुधी का मानना है कि सर्वोच्च अदालत की टिप्पणी से पीएमएलए की धारा 45 और मजबूत हुई. उन्होंने बीआरएस नेता के कविता मामले का जिक्र किया और जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर ईडी को फटकार लगाई थी.

उन्होंने कहा, पीएमएलए तहत ज्यादातर केसों मों बेल नहीं दी जा सकती, लेकिन इसके कुछ अपवाद हैं. यह ओवर राइटिंग प्रोविजन कि किस परिस्थिति में कोर्ट आरोपी को बेल दे सकती है. पीएमएलए की धारा 45 में ये भी प्रावधान है कि सामान्य प्रक्रिया में बेल नहीं दी जा सकती है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को दोहराते हुए कहा कि बेल सबका ज्यूड्यिशियल अधिकार है.

वकील शशांक देव सुधी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी इस बात पर थी कि लॉ का गलत इस्तेमाल न हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने (ईडी) पीएमएलए की धारा 45 की गलत व्याख्या की है, वह कहीं से भी सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने बाकी अदालतों के अपने विवेक का इस्तेमाल करने के लिए कहा है.”

‘केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखना चाहिए’

सुप्रीम कोर्ट के वकील शशांक शेखर झा ने पीएमएलए की धारा 45 पर जस्टिस की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि यहां केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखना चाहिए कि जो फाइनेंशियल से जुड़ी चीजें हैं और उसको साबित करने की जिम्मेदारी एजेंसी की है. उन्होंने कहा, यह एक ऐसा मामला है, जिसमें पूरे तार जोड़ने पड़ते हैं कि पैसा कहां से आया और कहां खर्च हुआ. इस वजह से ही पीएमएलए में बेल की शर्त को सरकार ने सख्त किया हुआ है, जिसे हमारी संसद ने पास किया था. अगर इसे नजरअंदाज करेंगे तो देश के लिए अच्छा नहीं होगा. 

वकील शशांक शेखर ने कहा, धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) कानून इसलिए बना ताकि देश को इकॉनोमिक फ्रॉड ओर इकॉनोमिक टेरर से बचाया जा सके. यही वजह है कि इसमें बेल के प्रावधान काफी सख्त हैं. सेंथिल बालाजी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें लगातार हिरासत में रहे तो यह उनके जीवन के अधिकार (अनुच्छेद-21) का उल्लंघन होगा.

इस पर वकील शशांक शेखर ने कहा कि आर्टिकल 21 बहुत महत्वपूर्ण है और अगर इसका हवाला देते हुए बेल दिया जाता है तो इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए. उन्होंने कहा,  आपको ये सुनिश्चित करना पड़ेगा कि आखिर जांच में इस तरह की देरी क्यों हो रही है और इसमें क्या बेहतर हो सकता है. ये सबको पता है कि ट्रायल कोर्ट में कितने केस लंबित हैं. सरकार को अपने पक्ष को लेकर काम करना चाहिए क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि इस जजमेंट की आड़ में देश में बहुत सारे इकॉनोमिक टेररिस्ट छूट जाएं. 

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