Supreme Court Seeks Response From Election Commission And Central Government On The Petition To Count All VVPAT Slips – सुप्रीम कोर्ट ने सभी ‘वीवीपैट’ पर्चियां गिने जाने की याचिका पर चुनाव आयोग व केंद्र सरकार से जवाब मांगा

पीठ ने याचिका पर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.
नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने चुनाव में सभी ‘वीवीपैट’ पर्चियों की गिनती का अनुरोध करने वाली याचिका पर निर्वाचन आयोग और केंद्र से सोमवार को जवाब मांगा. वर्तमान में, वीवीपीएटी पर्चियों के माध्यम से केवल पांच यादृच्छिक रूप से चयनित ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के सत्यापन का नियम है.
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‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपीएटी) एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देती है कि उसका वोट उसी उम्मीदवार को गया है या नहीं, जिसे उसने वोट दिया है.
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने चुनाव में सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती का अनुरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल के वकीलों की दलीलों पर गौर किया.
पीठ ने याचिका पर आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. विषय की सुनवाई 17 मई को हो सकती है.
याचिका में कहा गया है कि सरकार ने लगभग 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर लगभग 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन वर्तमान में, केवल लगभग 20,000 वीवीपैट पर्चियां ही सत्यापित हैं.
चुनाव से कुछ हफ़्ते पहले एक महत्वपूर्ण आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के कानून पर रोक लगाने का आदेश देने से इनकार कर दिया था. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर ऐसा करना “अराजकता पैदा करना” होगा. टिप्पणी करते समय, अदालत ने यह भी कहा कि नव नियुक्त चुनाव आयुक्तों, ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू के खिलाफ कोई आरोप नहीं हैं, जिन्हें नए कानून के तहत चयन पैनल में बदलाव के बाद चुना गया था.