Supreme Court says cant go go with emotions in Manipur Violence Plea | मणिपुर हिंसा मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट बोला
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की. इस दौरान पीठ ने कहा कि वह इस तर्क से संतुष्ट नहीं हैं कि मणिपुर के मुख्य सचिव समेत प्रतिवादियों के खिलाफ अवमानना का मामला बनाया गया है. कोर्ट ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता अपने पास उपलब्ध अन्य कानूनी उपायों का सहारा ले सकते हैं.
मणिपुर में हालात तनावपूर्ण बने रहें, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण- ऐश्वर्या भाटी
मणिपुर मामले की ओर से पेश हुईं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट में तर्क दिया कि कोई अवमानना नहीं हुई है, उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही जनता की चिंताओं को सक्रिय रूप से संबोधित कर रही हैं. भाटी ने कह कि भाटी ने इन कार्यों को खेदजनक बताते हुए कुछ दलों की ओर से ऐसी कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि वे लोग चाहते हैं कि हालात तनावपूर्ण बने रहें, जो कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं.
चीफ सेक्रेटरी के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करना उचित नहीं- SC
दरअसल, याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवादियों पर पिछले साल 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था, जिसमें जातीय संघर्षों के कारण विस्थापित लोगों की संपत्तियों की सुरक्षा का आदेश दिया गया था, इस दौरान पीठ ने अवमानना के दावों की वैधता पर सवाल उठाए. खास तौर पर मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों की संलिप्तता पर सवाल उठाया.
ऐसे में जब याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि उनके क्लाइंट, जो वर्तमान में मणिपुर से बाहर रह रहे हैं, इम्फाल में अपनी संपत्तियों पर वापस नहीं लौट सकते तो पीठ ने जवाब दिया, “इसका मतलब यह नहीं है कि मुख्य सचिव के खिलाफ नोटिस जारी किया जाए.”
सरकार अपने नागरिकों की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए है प्रतिबद्ध
वहीं, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बीते 25 सितंबर के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि राज्य ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करके उसका अनुपालन किया है और वह अपडेट रिपोर्ट देने के लिए तैयार है. उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि मणिपुर में “अशांत शांति” के बीच सरकार अपने नागरिकों और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
इस पर याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस की मौजूदगी में उनकी संपत्ति लूटी गई, जिसे भाटी ने निराधार बताते हुए खारिज कर दिया. पीठ ने भाटी के रुख का समर्थन करते हुए इस बात पर जोर दिया कि अधिकारियों का दायित्व संपत्तियों की सुरक्षा करना और अदालती आदेशों का पालन करना है.
आपकी संपत्तियों की सुरक्षा की आवश्यकता है- पीठ
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दुर्दशा के प्रति अपनी सहानुभूति दोहराई, लेकिन कोर्ट ने कहा कि कोई अवमानना का मामला साबित नहीं हुआ. पीठ ने कहा, “आपकी संपत्तियों की सुरक्षा की आवश्यकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें प्रतिवादियों को अवमानना नोटिस जारी करना होगा. इसने याचिकाकर्ताओं को प्रोत्साहित किया कि यदि वे प्रतिवादियों की किसी कार्रवाई या निष्क्रियता से दुखी हो रहे हैं तो वे उचित कानूनी चैनलों का सहारा लें.”
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