Supreme Court Says A Judge Should Live Like Hermit And Work Like Horse there is no place of flamboyance
Supreme Court On Judges: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (12 दिसंबर, 2024) को कहा कि जजों में दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है. अदालत ने न्यायिक सेवा में शामिल होने वाले लोगों को सोशल मीडिया का उपयोग करने से बचने की सलाह दी.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से दो महिला न्यायिक अधिकारियों को बर्खास्त करने के निर्णय के खिलाफ स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ को दो अधिकारियों में से एक का फेसबुक पोस्ट मिला, जिसमें उसने अदालतों के अनुभव फेसबुक पर शेयर किए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने कहा, “एक जज को संन्यासी की तरह रहना पड़ता है और घोड़े की तरह काम करना पड़ता है. एक न्यायिक अधिकारी को बहुत सारे त्याग करने पड़ते हैं. एक जज के लिए दिखावटीपन के लिए कोई जगह नहीं है.” पीठ ने आगे कहा, “जजों को फैसलों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए क्योंकि फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म खुले मंच हैं. कल यह कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया पर उन्होंने किसी मामले में एक या दूसरे तरीक़े से अपना दृष्टिकोण दिया है.”
क्या है मामला?
पीठ में जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह भी शामिल थे. यह मामला दो सिविल जजों अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी की बर्खास्तगी से संबंधित है, जिन्हें क्रमशः 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल किया गया था.
2023 में कुल छह महिला न्यायिक अधिकारियों को बर्खास्त किया गया. जब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा तो मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की अदालत ने चार अधिकारियों के संबंध में अपने फैसले को वापस ले लिया, लेकिन इन दो अधिकारियों के खिलाफ बर्खास्तगी आदेश वापस लेने से इनकार कर दिया और उनके खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां दर्ज कीं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक सीलबंद लिफाफे में रखा गया.
वरिष्ठ अधिवक्ता और हाई कोर्ट के पूर्व जज आर. बसंत ने इस दृष्टिकोण का समर्थन किया और कहा कि एक जज को सोशल मीडिया से दूर रहने के लिए तैयार रहना चाहिए और जो ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हैं उन्हें न्यायिक सेवा में शामिल नहीं होना चाहिए.
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