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Supreme Court rejects appeal to allow students cast vote with ballot from other states ann


अपने राज्य से बाहर रह कर पढ़ाई कर रहे छात्रों को डाक मतपत्र यानी पोस्टल बैलेट से मतदान की सुविधा देने की मांग सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि पोस्टल बैलेट को लेकर चुनाव नियम स्पष्ट हैं. इसमें बदलाव पर कोर्ट विचार नहीं करेगा.

हैदराबाद के नेशनल लॉ एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) के छात्र अर्नब कुमार मलिक की याचिका में कहा गया था कि वयस्क मतदान एक संवैधानिक अधिकार है, लेकिन अपने राज्य से दूर रह रहा छात्र मतदान नहीं कर पाता है. पढ़ाई के लिए वह जिस दूसरे शहर में रह रहा है, वहां के स्थानीय मुद्दों और भाषा से उसका परिचय नहीं होता इसलिए, वहां अपना वोट ट्रांसफर करवाना बहुत व्यवहारिक बात नहीं है.

याचिका में कहा गया था कि आवश्यक ड्यूटी पर लगे सरकारी कर्मचारियों, चुनाव कवर कर रहे मान्यता प्राप्त पत्रकारों, दिव्यांगों समेत कई लोगों को डाक मतपत्र से वोटिंग की सुविधा दी जाती है. अप्रवासी भारतीयों (NRI) को भी इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) से वोटिंग का अधिकार देने की बात कही जा रही है. ऐसे में छात्रों को भी अपने मूल निर्वाचन क्षेत्र से मतदान की सुविधा देनी चाहिए.

याचिकाकर्ता के लिए पेश वकील अव्रोज्योति चटर्जी ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच के सामने दलील दी कि तेलंगाना में पढ़ाई कर रहा उत्तर प्रदेश का छात्र स्थानीय मुद्दों से परिचित नहीं हो सकता. ऐसे में अगर वह वहां वोट डालता भी है, तो यह मताधिकार का सोचा-समझा इस्तेमाल नहीं माना जाएगा. हालांकि, जज इन दलीलों से सहमत नहीं हुए. उन्होंने कहा कि चुनाव से जुड़े नियम साफ हैं. कोर्ट को भी कहीं न कहीं सीमा तय करनी होती है. इस मांग पर कोर्ट विचार नहीं करेगा.

 

 

 

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