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Supreme Court refuses to hear petition on dress code of lawyers CJI DY Chandrachud said courtesy is necessary


Supreme Court on Dress Code: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (18 सितंबर) को वकीलों के ड्रेस कोड में छूट की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में गर्मियों में वकीलों को काला कोट पहनने से छूट देने संबंधी याचिका दायर की गई थी. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कई दलीलें भी दीं. 

तीन जजों की बेंच ने कहा, ‘वकीलों को उचित पोशाक पहननी चाहिए. कोर्ट में कुछ मर्यादा होनी चाहिए, हम लोगों को शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनकर कोर्ट में नहीं आने दे सकते.’ इसके साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस मामले को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और हाईकोर्ट के समक्ष उठाएं, क्योंकि वो इस तरह के मामलो में उचित निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार हैं. कोर्ट में शिष्टाचार को बनाए रखने के लिए उचित पोशाक बेहद जरूरी है. कई हाईकोर्ट ने गर्मी के मौसम में गाउन पहने जाने की इजाजत दी है.’

किसने दायर की थी याचिका?

सुप्रीम कोर्ट में वकीलों के ड्रेस कोड में छूट की मांग करने वाली याचिका एडवोकेट शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने दायर की थी. एडवोकेट शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने इस याचिका में तर्क दिया था कि गर्मियों में गर्म कोट पहनने से कार्यक्षमता प्रभावित होती है. सुप्रीम कोर्ट में भी उन्होंने कहा कि छूट दी ही जानी चाहिए जिस पर पीठ ने उनसे पूछा कि आप ही बताएं कि ड्रेस क्या होनी चाहिए.

क्या बोले एडवोकेट शैलेंद्र मणि त्रिपाठी?

सुप्रीम कोर्ट के याचिका पर सुनवाई से इनकार के बाद एडवोकेट शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि वो ड्रेस कोड को लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया और यूनियन ऑफ इंडिया का दरवाजा खटखटाएंगे. वो बोले, ‘गर्मी में काला कोट पहनना कंबल पहनने जैसा है और ये किसी दर्द से कम नहीं है. लगातार काला कोट पहनना वकीलों में दबाव और चिड़चिड़ापन पैदा करता है.’

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