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Supreme Court: नियमित सरकारी कर्मचारियों की तरह दशकों से काम कर रहे अस्थायी कर्मचारियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि अस्थायी कर्मचारियों को समान लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला विशेष सीमा बल (एसएफएफ) के एसएसडी फंड मैनेजमेंट करने वाले कर्मचारियों की अपील पर किया. 

छठे वेतन आयोग का नहीं मिला था लाभ

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक इन कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग का और पेंशन का लाभ नहीं मिला. उनके ज्ञापन को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद वे हाई कोर्ट गए और वहां भी उन्हें राहत मिली थी. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, “अपीलकर्ताओं को पेंशन लाभ से वंचित करना मनमाना फैसला है. यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.” इसके साथ ही कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को पेंशन के साथ-साथ छठे वेतन आयोग का लाभ देने का निर्देश दिया. 

अपीलकर्ताओं के मिलता था ये लाभ

एसएसडी फंड के तहत अपीलकर्ताओं को चौथे और पांचवें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) के अनुसार वेतन के साथ-साथ यात्रा भत्ता (टीए), महंगाई भत्ता (डीए), मकान किराया भत्ता (एचआरए), विशेष सुरक्षा भत्ता (एसएसए), ग्रेच्युटी, बोनस, शीतकालीन भत्ता और उच्च-ऊंचाई भत्ता मिला था. 1 जनवरी 2006 को छठा वेतन आयोग एसएफएफ के सभी सरकारी कर्मचारियों पर लागू किया गया था. ये लाभ अपीलकर्ताओं यानी एसएसडी कर्मचारियों को नहीं दिए गए और उसके बजाय सभी अपीलकर्ताओं को 3000-3000 रुपया प्रति महीने ज्यादा दी गई थी.

इसके बाद अपीलकर्ताओं को छठे वेतन आयोग के तहत मिलने वाले लाभ को लेकर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) को आवेदन दिया और वहां से भी इनका आवेदन खारिज हो गया था. CAT का कहना था कि ये लोग सरकारी सेवा में कार्यरत नहीं थे.

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