Supreme Court on child testimony minor is competent witness man sentenced to imprisonment in wife murder case
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 फरवरी, 2025) को कहा कि बाल गवाह एक ‘सक्षम गवाह’ होता है और उसके साक्ष्य को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता. इसी के साथ कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए एक व्यक्ति को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा.
जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम में गवाह के लिए कोई न्यूनतम उम्र निर्धारित नहीं की गई है और बाल गवाह की गवाही, जिसे गवाही देने में सक्षम पाया जाता है, साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य होगी. कोर्ट एक महिला की हत्या के मामले में सुनवाई कर रहा था, जिसकी हत्या उसके पति ने की थी. कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दर्शाता हो कि पीड़ित की बेटी एक प्रशिक्षित गवाह थी.
बेंच ने कहा, ‘अदालतों के सामने अक्सर ऐसे मामले आते हैं जहां पति, तनावपूर्ण वैवाहिक संबंधों और चरित्र को लेकर शकर के चलते, पत्नी की हत्या करने की हद तक चले जाते हैं.’ बेंच ने कहा कि इस तरह के अपराध आम तौर पर घर के अंदर पूरी गोपनीयता के साथ किए जाते हैं और अभियोजन पक्ष के लिए साक्ष्य पेश करना बहुत मुश्किल हो जाता है.
कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 118 के अनुसार, किसी बाल गवाह का साक्ष्य दर्ज करने से पहले, अधीनस्थ अदालत की ओर से प्रारंभिक जांच की जानी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या गवाह साक्ष्य देने की पवित्रता और उससे पूछे जा रहे सवालों के महत्व को समझने में सक्षम है.
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जून 2010 में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने 2003 में एक महिला की हत्या के आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया था. फैसले में कहा गया कि पीड़िता की बेटी (जो घटना के समय सात साल की थी) गवाही देने में सक्षम पाई गई, लेकिन उसकी गवाही ‘बहुत कमजोर’ प्रतीत हुई खासकर पुलिस के सामने उसका बयान दर्ज करने में 18 दिन की देरी को देखते हुए.
सुप्रीम कोर्ट ने अपील स्वीकार कर ली और हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया. इसने अधीनस्थ अदालत के उस फैसले को बहाल कर दिया जिसमें व्यक्ति को दोषी ठहराया गया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. बेंच ने उसे सजा भुगतने के लिए चार सप्ताह के भीतर अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया.
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